जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी को लेकर संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी मिशन के प्रवक्ता की कड़ी आलोचना की है और एक बार फिर दोहराया है कि यह केंद्र शासित क्षेत्र देश का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत चीन से यह अपेक्षा करता है कि वह हमारे आंतरिक मामलों में कोई टिप्पणी न करें और देश की संप्रभुता तथा अखंडता का पूरा सम्मान करे।
चीनी प्रवक्ता ने कहा था, कि बीजिंग कश्मीर के हालात पर नजर रखे हुए हैं और हमारा रुख इस पर नहीं बदला है। कश्मीर मुद्दे का इतिहास शुरू से ही विवादित रहा है और इसका समाधान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय तरीके से होना चाहिए।
श्रीवास्तव ने कहा कि चीन भलीभांति इस मामले में हमारी स्थिति जानता है। उसे इस मामले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। चीन दरअसल पाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती निभाने के लिए बार-बार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की नाकाम कोशिश करता रहा है। इसी क्रम में पाकिस्तान भी जम्मू-कश्मीर की नई हकीकत को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। इस्लामाबाद ने एक बार फिर अपनी झुंझलाहट प्रदर्शित करते हुए जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल कानून बदलने के फैसले की आलोचना की है।
गौरतलब है कि चीन के स्थायी मिशन के प्रवक्ता ने कहा था कि कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शीर्ष पर है और चीन कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर नजर रखे है। प्रवक्ता ने कथित तौर पर यह भी कहा कि कश्मीर का मामला इतिहास से निकला विवाद है और इसका सही तरह तथा शांतिपूर्ण समाधान किया जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 से संबंधित प्रावधानों को निरस्त करने के बाद चीन और पाकिस्तान बार-बार भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप की कोशिश कर रहे हैं।