किसी भी देश के विकास का भविष्य युवा पीढ़ी पर टिका होता है। लेकिन मौजूदा समय में युवा वर्ग का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। दुनिया भर के ज्यादातर देशों में बच्चों के लापता होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिनमें भारत और नेपाल जैसे देश भी शामिल हैं । नेपाल में लगातार लापता होते बच्चों को लेकर ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार परिषद’ “एनआरसीआर” के अनुसार नेपाल में हर दिन कम से कम 6 बच्चे लापता हो रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि इन बच्चों का इस्तेमाल बाल मजदूरी ,यौन शोषण ,बच्चों की तस्करी जैसे आपराधिक गतिविधियों में किया जा रहा है। एनआरसीआर के आकड़ों के अनुसार साल 2006 से जुलाई 2022 तक लगभग 36 हजार 612 बच्चों के लापता होने के मामले दर्ज किये गए हैं। जिसमें से 23,हजार 259 बच्चे बरामद किये गए हैं। लेकिन अभी भी 13 हजार 353 बच्चों का कोई पता नहीं लग पाया कि वो कहां और किन हालातों में हैं। यहां बंधुआ मजदूरी या यौन शोषण के लिए नाबालिक बच्चों की तस्करी को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।
डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट मुताबिक नेपाल पुलिस नाबालिकों और महिलाओं को खोजने के लिए भारत में भी अभियान चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि कुछ बच्चों की तस्करी उनके अंग निकालने के उद्देश्य से भी की जाती है। हालांकि ऐसे मामले कम होते हैं । इसके अलावा कई अन्य देशों, खासकर अफ्रीका और खाड़ी देशों में पर्यटन के बहाने लोगों की तस्करी की जाती है।नेपाल की मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहना अंसारी के अनुसार देश में बच्चों के लापता होने के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं उससे मालूम होता है कि बच्चों को खोजने में नेपाल सरकार दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। लापता होने वाले बच्चों की असल संख्या ज्यादा हो सकती है, क्योंकि हो सकता है कि कुछ मामले दर्ज न हुए हों।
लापता बच्चों के बढ़ते मामले में भारत नहीं रहा अछूता
बच्चों के लापता होने के मामलों से भारत भी अछूता नहीं रहा है। देश में बच्चे चोरी होने और गायब होने की खबरें आए दिन आती रहती हैं । जिनको नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। बच्चे लापता होने के मामले में भारत अपने पड़ोसी देश से भी आगे निकल गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों मुताबिक पिछले साल देश से कुल 73 हजार 535 बच्चे गायब हुए। वहीं पिछले 5 सालों में तकरीबन 3.4 लाख से ज्यादा बच्चों की गायब होने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी । जिनमें सबसे ज्यादा लड़कियों के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। पिछले 5 सालों के आंकड़े को देखा जाए तो 3.4 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए यानी हर साल औसतन 68,हजार बच्चे गायब हो हुए। जो कि चिंता का विषय है। जिससे मालूम होता है कि ये मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में 63 हजार 339 बच्चों के चोरी हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में पिछले साल सबसे ज्यादा 11 हजार 607 बच्चे चोरी हुए। वहीं पश्चिम बंगाल 9 हजार 996 , तमिलनाडु 6 हजार 399, दिल्ली 5 हजार 772 और राजस्थान में 4 हजार 936 बच्चे गायब हुए हैं।