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इंटरनेट बंद करने की वैश्विक सूची में शीर्ष पर भारत

इंटरनेट के बिना आपका स्मार्टफोन, लैपटॉप, डेस्कटॉप, टैबलेट मात्र एक डिब्बा माना जाएगा । इंटरनेट न हो तो आप इन डिवाइस पर किसी भी तरह का ऑनलाइन काम नहीं कर सकते हैं। उन्नत होती तकनीक ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में इंटरनेट का एक विशाल नेटवर्क तैयार कर दिया है। आज के दौर में जब पूरी दुनिया इंटरनेट के बिना एक तरह से अधूरी है ऐसे में अगर अचानक से इंटरनेट काम करना बंद कर दे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि इंटरनेट के साथ ही दुनिया भी थम सी जाएगी। लेकिन आप शायद नहीं जानते होंगे कि इंटरनेट सेवाएं बंद करने में भारत दुनिया का अग्रणी देश है। इंटरनेट एडवोकेसी वॉचडॉग एक्सेस नाउ ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट शटडाउन के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। पिछले पांच वर्षों में अकेले भारत में इंटरनेट सेवा को सबसे अधिक बार बंद किया गया है।

पिछले साल 84 बार बंद हुआ इंटरनेट

एक्सेस नाउ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल दुनिया भर में कुल 187 इंटरनेट आउटेज हुए। इनमें से 84 घटनाएं अकेले भारत में हुई हैं। इसमें सबसे ज्यादा बार जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बंद की गई। अकेले जम्मू-कश्मीर में 49 बार इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं। जनवरी और फरवरी तक लगातार 6 बार इंटरनेट सेवा बंद की जा चुकी है। इसके बाद राजस्थान में 12 बार और पश्चिम बंगाल में 7 बार इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद की गईं। राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा, दंगे आदि के कारण कई राज्यों में इंटरनेट सेवाएं बंद की जाती रही हैं ।

एक साल में 4500 करोड़ का आर्थिक घाटा

पिछले साल यानी 2021 में भारत में करीब 1157 घंटे इंटरनेट सेवा बंद रही, जिससे देश को करीब 4300 करोड़ का नुकसान हुआ। इंटरनेट सेवा बंद होने पर सभी वित्तीय लेन-देन ठप हो जाते हैं। इससे भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसमें 2021 में इंटरनेट सेवाएं बंद होने से करीब 5.9 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। भारत के अलावा यूक्रेन में 22 बार और ईरान में 18 बार इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं।

इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के कारण

 

यदि किसी राज्य में हिंसा, दंगे या सामाजिक कलह होती है, तो सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य में इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का निर्णय लेती है। संकट के समय गलत सूचना के प्रवाह को रोकने के लिए इंटरनेट शटडाउन लागू किया जाता है। खासकर भारत में जब बड़े पैमाने पर हिंसा, आंदोलन की घटनाएं होती हैं तो स्थिति को शांत रखने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी जाती हैं। जहां इंटरनेट बंद है वहां कोई भी डिवाइस नेट का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
2022 में 35 देशों में कम से कम 187 इंटरनेट शटडाउन हुए। इन 33 देशों में से 33 घटनाएं बार-बार हुईं। इंटरनेट बंद होने के कारण एक सूचना अधिक लोगों तक नहीं पहुंच पाती है। इससे समाज में दरार पैदा करने वाली हिंसा, दंगे जैसी घटनाओं के दौरान पहली बार इंटरनेट सेवाएं बंद होती हैं। लेकिन तेजी से डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर रहे लोगों के लिए इंटरनेट सेवा के बंद होने से भारी नुकसान होता है।

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