काला धन और टैक्स चोरी करने को लेकर अमेरिकी शोध संस्थान ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी (जीएफआई) ने एक रिपोर्ट जारी की है। जीएफआई ने मंगलवार को जारी अपने रिपोर्ट में दावा किया है कि टैक्स करने में भारत तीसरे नंबर पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार के जरिए काले धन को सफेद करने के मामले में भारत दुनिया के 135 देशों की सूची में तीसरे नंबर पर है।
जीएफआई के अनुसार, भारत में व्यापार से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के माध्यम से तकरीबन 83.5 अरब डॉलर की राशि पर टैक्स चोरी की जाती है। संस्था ने कोष के गैर-कानूनी तरीके से प्रवाह को अवैध तरीके से कमाई, धन को स्थानांतरित करना और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस्तेमाल करने के रूप में विभाजित किया है। धन के प्रवाह के प्रमुख स्रोतों में गैर-कानूनी तरीके से भ्रष्टाचार, व्यापारिक कर की चोरी और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपराध शामिल हैं।
जीएफआई ने ये रिपोर्ट 2008-17 के दौरान 135 विकाशील देशों में व्यापार से संबंधित वित्तीय प्रवाह के आधार पर जारी किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि टैक्स चोरी करने और काला धन सफेद करने के मामले में चीन पहले स्थान पर है। चीन में 457.7 अरब डॉलर की राशि पर टैक्स चोरी की जाती है। इसके बाद दूसरे नंबर पर आया है मेक्सिको जहां 85.3 अरब डॉलर परकी राशि पर टैक्स चोरी की जाती है। वहीं तीसरे नंबर भारत में 83.5 अरब डॉलर की राशि पर टैक्स चोरी की जाती है। उसके बाद नंबर आता है रूस का जहां 74.8 अरब डॉलर और उसके बाद पोलैंड का जहां 66.3 अरब डॉलर की राशि पर टैक्स चोरी की होती है।
ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी की रिपोर्ट में उदाहरण देते समझाया गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग की तकनीक के जरिए मादक पदार्थों का अवैध कारोबार करने वाला समूह नॉर्कोटिक्स की बिक्री से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल टैक्स की खरीद में करता है। और उसे ड्रग के स्रोत देश में निर्यात और बेचा जाता है। इस तरह से ये गैर-कानूनी तरीके से वित्तीय प्रवाह हुआ।
जीएफआई के वरिष्ठ अर्थशास्त्री रिक रावडन ने कहा, “ऐसी राशि जिस पर टैक्स नहीं चुकाया गया है, से आशय है कि आयातकों और निर्यातकों के देशों की सरकारों के तरफ से उस पर उचित तरीके से कर नहीं लगाया गया है।” उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हमारा मानना है कि व्यापार में बिलों में मूल्य की सही जानकारी नहीं देना एक बड़ी समस्या है। इससे व्यापार में एक बड़ी राशि पर कर नहीं लगता। इससे देशों को अरबों डॉलर के टैक्स का नुकसान होता है।