कोरोना संकट में इंटरनेट लोगों के लिए वरदान साबित हुआ तो कई लोगों के लिए ये अभिशाप भी बना। कोरोना संकट में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ के जरिए कई लोगों को गलत जानकारियां मिली जिसके कारण सोशल मीडिया गलत सूचनाओं का अड्डा भी बनता दिखा। सोशल मीडिया पर अनगिनत फेक वायरल मैसेज की की दौड़ में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है।
एक नए अध्ययन में इसका खुलासा हुआ। स्टडी में बताया गया है भारत में सबसे ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल होने और साथ में इंटरनेट साक्षरता की कमी के कारण कोविड-19 को लेकर यहां सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा गलत जानकारियां पोस्ट की गईं।
सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर गलत सूचना देने में भारत सबसे आगे है। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना के बारे में सबसे भ्रामक जानकारी भारत में फैलाई गई, क्योंकि देश में इंटरनेट की पहुंच बहुत बड़ी है, लेकिन साक्षरता की कमी बरकरार है। सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट्स देश में व्यापक रूप से पढ़ी और देखी जाती है। फेक जानकारियों की यह स्थिति इंटरनेट साक्षरता की कमी के कारण विकट हो गई थी।
138 देशों में कोविड 19 गलत सूचना की रोकथाम और सामाजिक विश्लेषण की रिपोर्ट, जर्नल ऑफ द इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ लाइब्रेरी एसोसिएशंस एंड इंस्टीट्यूशंस, एसईजेड में प्रकाशित हुई है।
इसने दुनिया के 138 देशों के 9657 डेटा सेट का अध्ययन किया है और 94 संगठनों द्वारा सत्यापित किया गया है। इसकी जांच की गई कि कहीं इसके जरिए गलत सूचना तो नहीं फैलाई गई। सभी देशों में से भारत में 18.07 प्रतिशत सोशल मीडिया पर सबसे अधिक गलत सूचना का प्रसार हुआ। इसका एक मुख्य कारण भारत में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच है। ऐसे में लोग सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका एक कारण इंटरनेट साक्षरता की कमी भी है, कई लोग ऐसे हैं जिन्हें इस बात की समझ नहीं है कि किस पर विश्वास करना है और क्या नहीं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति कोरोना को लेकर गलत सूचना का शिकार न हो। इससे लोगों की सेहत को खतरा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी कहा है कि सोशल मीडिया से मिली जानकारी की जांच की जानी चाहिए। सूचना की विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करती है कि सूचना का स्रोत क्या है, इसलिए स्रोत की जाँच करने की आवश्यकता है।
भारत 15.94 प्रतिशत, अमेरिका 9.74 प्रतिशत, ब्राजील 8.57 प्रतिशत और स्पेन 8.03 प्रतिशत के साथ देश में सबसे आगे है। इस अध्ययन के निष्कर्षों के बारे में कहा जाता है कि कोविड 19 के बारे में जानकारी का अभाव कोरोना की स्थिति में हो रहे सकारात्मक बदलावों से जुड़ा था। गलत सूचना के प्रसार में 84.94 प्रतिशत के लिए सोशल मीडिया का योगदान है। दूसरी ओर 90.5 प्रतिशत गैर-सूचनाएं इंटरनेट पर फैली हुई हैं। फेसबुक पर इस जानकारी की हिस्सेदारी 66.87 प्रतिशत थी।