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भीड़-भाड़ संबंधी दुर्घटनाओं का केंद्र बना भारतः शोध

भारत तेजी से भीड़-भाड़ संबंधी दुर्घटनाओं का केंद्र बनता जा रहा है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययनों में कहा गया है कि भीड़भाड़ के कारण धार्मिक समारोहों में दुर्घटनाओं की संभावना अधिक होती है। इन भीड़-संबंधी दुर्घटनाओं में मारे गए और घायल हुए लोगों का अब तक का सबसे व्यापक डेटाबेस तैयार किया गया है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि डेटाबेस दुनिया भर में सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुरक्षा उपायों को बेहतर बनाने में उपयोगी होगा।

डेटाबेस में 281 दुर्घटनाओं का विवरण शामिल

ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय और जापान में टोक्यो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा बनाए गए डेटाबेस में 1900 और 2019 के बीच दुनिया भर में 281 बड़ी दुर्घटनाओं का विवरण शामिल है, जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई या दस घायल हो गए।
प्रमुख शोधकर्ता मिलाद हगनी ने कहा कि भारत और कुछ हद तक पश्चिम अफ्रीका भीड़-भाड़ से संबंधित दुर्घटनाओं का अड्डा बनता जा रहा है। ये जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ तेजी से विकासशील क्षेत्र हैं।
उन्होंने कहा कि गांवों से शहरों की ओर लोगों के बढ़ते पलायन को देखते हुए उपलब्ध बुनियादी ढांचा अपर्याप्त होता जा रहा है। उन्होंने एक बयान में कहा कि उत्तर भारत विशेष रूप से घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जहां धार्मिक आयोजन बड़े पैमाने पर होते हैं और रिकॉर्ड संख्या में भीड़ जुटती है।
सेफ्टी साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि भारत में 2000 से 2019 के बीच भीड़ से जुड़ी 70 फीसदी दुर्घटनाएं धार्मिक आयोजनों से संबंधित थीं। इनमें से ज्यादातर दुर्घटनाएं नदियों या किसी जलाशय के पास हुई हैं।
अध्ययनों के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में दुनिया भर में गंभीर यातायात दुर्घटनाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऐसी घटनाओं की औसत संख्या 1990 और 1999 के बीच प्रति वर्ष तीन घटनाओं से बढ़कर 2010 और 2019 के बीच प्रति वर्ष 12 घटनाएं हो गई हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में दुनिया भर में भीड़-संबंधी घटनाओं में लगभग 8,000 लोग मारे गए हैं और 15,000 से अधिक घायल हुए हैं।

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