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रीसाइक्लिंग से बढ़ रहा प्रदूषण; स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक

रीसाइक्लिंग, प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए इस समय सबसे बेहतर उपाय के तौर पर बड़ी तेजी से अपनाया जा रहा है। लेकिन ये उपाय प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को कम करने के बजाय बढ़ा रहा है।

दरअसल, एक नए अध्ययन से पता चला है कि रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया प्लास्टिक की विषाक्तता कम करने के बजाय उसे और बढ़ाती है। ग्रीनपीस द्वारा जारी नई रिपोर्ट “फॉरएवर टॉक्सिक: द साइंस ऑन हेल्थ थ्रेट्स फ्रॉम प्लास्टिक रिसाइक्लिंग” में यह जानकारी सामने आई है। यह रिपोर्ट प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए पेरिस में हो रही इंटर गवर्नमेंटल नेगोशिएटिंग कमेटी के दूसरे सत्र से पहले जारी की गई है।

29 मई से 2 जून, 2023 तक होने वाली इस वार्ता का उद्देश्य देशों को एक साथ लाना और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए एक वैश्विक समझौता करना है।

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि पेरिस में प्लास्टिक संधि पर चल रही बातचीत में प्लास्टिक उत्पादन को सीमित करने और कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए। जीवाश्म ईंधन, पेट्रोकेमिकल और रोजमर्रा के सामान बनाने वाली कंपनियां जैसे नेस्ले, यूनिलीवर और कोका-कोला के साथ-साथ प्लास्टिक उद्योग तेजी से प्लास्टिक की समस्या के समाधान के रूप में प्लास्टिक रीसाइक्लिंग पर जोर दे रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक यह सही नहीं है।रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों के अनुसार, प्लास्टिक में 13,000 से अधिक रसायन होते हैं जिनमें से 3,200 मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। इस संबंध में शोधकर्ताओं का कहना है कि रिसाइकिल प्लास्टिक में ढेर सारे रसायन होते हैं जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। साथ ही ये पारिस्थितिकी तंत्र को भी दूषित कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने इस रिपोर्ट में तीन तरीकों की पहचान की है कि कैसे रीसाइक्लिंग में प्लास्टिक सामग्री हानिकारक रसायनों को समाए रखती है:सबसे पहले इसमें नए प्लास्टिक में मौजूद जहरीले रसायनों से होने वाला सीधा प्रदूषण शामिल है।
इसी तरह, कीटनाशक, सफाई सॉल्वैंट्स और प्लास्टिक के कंटेनर से अन्य पदार्थ जो रीसाइक्लिंग श्रृंखला में प्रवेश कर रहे हैं, प्लास्टिक को दूषित कर सकते हैं।
इसी तरह पुनर्चक्रण प्रक्रिया, जिसमें प्लास्टिक को गर्म किया जाता है, उससे भी हानिकारक रसायन बढ़ सकते हैं।
प्लास्टिक उत्पादन, निपटान जैसी सुविधाएं अक्सर दुनिया भर में कमजोर, वंचित समुदायों के आसपास स्थित होती हैं। ऐसे में इनसे निकलने वाले हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने से कैंसर, फेफड़ों की बीमारी और नवजातों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव का खतरा बढ़ जाता है।

स्वास्थ्य के लिए खतरा रीसाइक्लिंग

रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते प्लास्टिक के साथ-साथ रीसाइक्लिंग सुविधाओं में गंभीर आग की घटनाओं का  खतरा भी बढ़ गया है, खासकर उन जगहों पर जहां इस्तेमाल की गई बैटरियों के साथ-साथ प्लास्टिक को ई-कचरे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

वर्ष 2022 में अमेरिका और कनाडा में किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला कि प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट सुविधाओं में आग लगने के रिकॉर्ड 390 मामले थे। तुर्की की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उस देश में प्लास्टिक रीसाइक्लिंग सुविधाओं में आग लगने की संख्या 2019 में 33 से बढ़कर 2021 में 121 हो गई है।

इसी तरह पिछले 12 महीनों में अप्रैल 2023 तक, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, घाना, रूस, दक्षिणी ताइवान, थाईलैंड, यूनाइटेड किंगडम और यूएसए में फ्लोरिडा, इंडियाना, उत्तरी कैरोलिना में स्थित प्लास्टिक रीसाइक्लिंग सुविधाओं में बड़ी आग लगने के मामले सामने आए हैं।

2060 तक प्लास्टिक का उत्पादन हो जाएगा तीन गुना 

रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक उत्पादन को कम किए बिना प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना असंभव होगा। इस संबंध में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का अनुमान है कि विश्व स्तर पर केवल नौ प्रतिशत प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण किया जाता है। इतना ही नहीं, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में स्थिति और भी खराब हो सकती है क्योंकि 2060 तक प्लास्टिक का उत्पादन तिगुना होने की सम्भावना है। दूसरी ओर रीसाइक्लिंग में मामूली वृद्धि की उम्मीद है।हालांकि, 16 मई, 2023 को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, यदि देश और कंपनियां मौजूदा तकनीकों का बेहतर उपयोग करने के साथ-साथ नीतियों और बाजारों में बदलाव करती हैं। तो 2040 तक इस प्लास्टिक कचरे को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ग्रीनपीस ने इस पेरिस दौर की वार्ता में एक महत्वाकांक्षी, कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक प्लास्टिक प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है।

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