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मानसून में देरी से बढ़ सकती महंगाई

पिछले कई वर्षों से बढ़ते प्रदुषण व अन्य कई कारणों से लगातार जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। जिसके कारण भारत जैसे देश, जहाँ लगभग सभी मौसम देखने को मिलते हैं वहां मौसमों के क्रम में अस्थिरता देखने को मिल रही है। हर वर्ष जून के महीने में दस्तक देने वाले मानसून में भी देरी देखने को मिल रही है। जिसके कारण महंगाई के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

केरल में मानसून प्रवेश के बाद भी वहां काफी कम बारिश हो रही है। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित कई राज्यों में अभी भी भीषण गर्मी और लू का प्रकोप जारी है। खास बात यह है कि मानसून अपने नियम और समय के अनुसार इस वर्ष काफी लेट चल रहा है। जो किसानों के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर मौसम इसी प्रकार बना रहता है और बारिश नहीं होती है तो धान सहित कई फसलों का रकब सिकुड़ जाएगा। जो महंगाई का कारण बनकर उभरेंगे।

 

मानसून में देरी

 

मध्य भारत जो कृषि का प्रमुख केंद्र है वहां इस वर्ष 55 फीसदी बारिश में कमी है। दक्षिण क्षेत्रों में 61 फीसदी तो पूर्वी उत्तरपूर्व क्षेत्रों में 23 फीसदी तक बारिश में कमी देखने को मिल रही है। हालांकि भारतीय मौसम विभाग को सामान्य मानसून की उम्मीद है। लेकिन वहीं दूसरी ओर मौसम की भविष्यवाणी करने वाली स्काईमेट ने जुलाई के पहले हफ्ते तक मुख्य कृषि वाले इलाकों में कम बारिश होने की आशंका जताई है। स्काईमेट के अनुमान के अनुसार उत्तरी और मध्य भारत में इस वर्ष कम बारिश हो सकती है। कई दूसरी रिसर्च रिपोर्ट्स का मानना है कि इस वर्ष अल नीनो के असर के चलते सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं जिससे खाद्यान्न उत्पादन में कमी आ सकती है।

 

बढ़ सकती है महंगाई

 

मानसून में देरी के कारण खरीफ फसल की बुआई में देरी हो रही है। माना जा रहा है कि अल नीनो के आशंका सच साबित हुई तो इससे मानसून में देरी आएगी जिससे महंगाई के बढ़ने का खतरा है। मानसून की कमी का सबसे बड़ा प्रभाव सबसे प्रमुख खरीफ फसल धान की खेती पर भी पड़ सकता है। अल नीनो के चलते देश में सूखा पड़ने की असंका भी जताई गई है। जिससे खाद्य वस्तुओं के सप्लाई दर में कमी आ सकती है। खाद्य वस्तुओं की दर में आने वाली कमी का प्रभाव बाजार में आने वाली खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर पड़ सकता है। जिससे खाद्य वस्तुएं महंगी हो सकती है।

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