कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के लिए जिम्मेदार गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी पर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने जिस तरीके से अपनी पीठ थपथपाई है, वह यूपी, दिल्ली व हरियाणा जैसे उन राज्यों के पुलिस प्रशासन और इंटेलीजेंस पर भी सवाल खड़े करता है जहां से होकर विकास दुबे उज्जैन पहुंचने में सफल रहा। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बड़े गर्व से कहा कि हमारी पुलिस किसी अपराधी को छोड़ती नहीं है, विकास दुबे की फरारी की खबर मिलने के बाद से ही राज्य की पुलिस को अलर्ट पर रखा गया था। उनकी इस भाषा के यह भी मायने हो सकते हैं या यह भी संदेश हो सकते हैं कि विकास ने जिस तरह यूपी, दिल्ली व हरियाणा जैसे राज्यों के पुलिस प्रशासन और इंटेलीजेंस को चकमा दिया वैसा वह मध्य प्रदेश में नहीं कर सका क्योंकि यहां पुलिस अलर्ट पर थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी लगभग इसी भाषा में कहा कि ‘जिनको लगता है कि महाकाल की शरण में जाने से उनके पाप धुल जाएंगे, उन्होंने महाकाल को जाना ही नहीं।
हमारी सरकार किसी भी अपराधी को बख्शने वाली नहीं है।’ साफ है कि गृहमंत्री और मुख्यमंत्री ने जिस तरह अपनी पुलिस की पीठ थपथपाई है उससे जाने या अनजाने यूपी, दिल्ली और हरियाणा की पुलिस पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। अपनी पुलिस की पीठ थपथपाने के अति उत्साह में वे यूपी, दिल्ली और हरियाणा की पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर गए हैं। भले ही अपनी पुलिस की तारीफ करना मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री का अधिकार भी है और दायित्व भी, लेकिन उनकी भाषा में यूपी, हरियाणा और दिल्ली की पुलिस व्यवस्था के प्रति कटाक्ष भी साफ झलकता है। खासकर यूपी पुलिस के लिए यह बड़ा कटाक्ष माना जा सकता है क्योंकि कानपुर की घटना के बाद यूपी पुलिस की भूमिका के साथ ही योगी सरकार पर भी सवाल उठने लगे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जाने या अनजाने में यूपी, दिल्ली और हरियाणा की पुलिस व्यवस्था पर सवाल तो उठाए, लेकिन ऐसा करते वक्त वह भूल गए कि उनकी भाषा से जहां एक ओर यूपी और हरियाणा की उन्हीं की पार्टी की सरकारों को कष्ट होगा, वहीं केंद्र की वह भाजपा सरकार भी लपेटे में आ जाएगी जिसके अधीन दिल्ली पुलिस है। यानी अपनी पुलिस व्यवस्था की तारीफ करने के अति उत्साह में जाने-अनजाने अपनी ही पार्टी की अन्य सरकारों को कटघरे में खड़ा कर गए हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री। दिक्कत यह है कि उनके इतना करने के बावजूद खुद मध्य प्रदेश पुलिस की भूमिका भी सवालों में है कि क्या विकास गुप्ता ने खुद सरेंडर किया कि उसे गिरफ्तार किया गया। उसके उज्जैन में मौजूद होने की खबर राज्य की इंटेलीजेंस को थी कि महाकाल मंदिर के पुजारी ने उसकी मौजूदगी की सूचना दी। चर्चा है कि विकास ने खुद सरेंडर किया और सरेंडर से पहले उसने मीडिया को भी बुलाया था।
-दाताराम चमोली