कहते हैं कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ विचार आते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने और तमाम बीमारियों से लड़ने के लिए चिकित्सा विज्ञान ने समय-समय पर अपने अनुसंधानों से चमत्कार किये हैं। जीवन रक्षक दवाइयों ने असाध्य रोगों पर नियंत्रण किया है। इसके बावजूद चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे अनुसंधान जारी हैं जो भविष्य में चमत्कारिक परिणाम लेकर आएंगे। ऐसा ही एक अनुंसधान (रिसर्च) अमेरिका की जानी- मानी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में चल रहा है। इस रिसर्च के फलस्वरूप एक ऐसी वैक्सीन सामने आएगी जिसके बूते हर कोई व्यक्ति सुपरमैन बनने का अपना सपना साकार कर सकेगा। यानी सुपरमैन, शक्तिमान, डोरेमैन, टॉमन जरी जैसे पात्र अब बच्चों की कार्टून फिल्मों की कथावस्तु नहीं रहेंगे। बच्चों की कोमल कल्पनाओं तक ही ये मीमित नहीं रहेंगे, बल्कि हकीकत में भी अब दिखाई देंगे।
गौरतलब है कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी दुनिया के अग्रणी शिक्षण और अनुसंधान विश्वविद्यालयों में से एक प्रमुख है। पिछले करीब 125 वर्षों से रिसर्च के प्रति समर्पित यह विश्वविद्यालय अंतराष्ट्रीय स्तर पर छात्रों को स्कॉलरशिप देकर उनकी प्रतिभा का सदुपयोग करता है। लेलैंड स्टैनफोर्ड जूनियर विश्वविद्यालय की स्थापना 1885 में कैलिफोर्निया के सीनेटर लेलैंड स्टैनफोर्ड और उनकी पत्नी जेन ने अपने इकलौते बच्चे, लीलैंड जूनियर की याद में की थी, जिनकी मृत्यु 15 वर्ष की उम्र में टाइफाइड से हो गई थी।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में जेनेटिक्स के एक प्रोफेसर यूआन एश्ले ने हाल में बताया है कि निकट भविष्य में एक ऐसी वैक्सीन सामने आएगी जो व्यक्ति को इतना स्वस्थ रखेगी कि अल्जाइमर्स और दिल संबंधी बीमारियों से भी मुक्ति देगी। इसके फलस्वरूप इंसान लंबी उम्र जीएगा। बुढ़ापे में उसे किसी भी तरह की परेशानियां नहीं होंगी। यानी एक स्वस्थ और लंबा जीवन इंसान जी सकेगा। जेनेटिक्स के प्रोफेसर की मानें तो यह वैक्सीन इंसान को सुपरमैन बनाने में कारगर होगी। सुपरमैन जैसी ताकत इसके बूते इंसान हासिल कर सकेगा। यानी सुपरमैन या शक्तिमान जैसी ताकत इंसान हासिल कर सकेगा।
-दाताराम चमोली