[gtranslate]
Country

भारत की इस योजना का मुरीद हुआ ‘आईएमएफ ‘

डिजिटल इंडिया (इण्डिया) भारत सरकार की एक पहल है जिसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोड़ना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएँ इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुँच सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को उच्च गति का इंटरनेट (इण्टरनेट) के माध्यम से जोड़ना भी है। इस योजना ने कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल इण्डिया के चलते लोगों को लेन -देन में काफी सहुलियत मिली थी। इसी के तहत भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही डीबीटी स्कीम से देश को काफी लाभ पहुँचा है। इसी स्कीम की तारीफ़ अब अंतराष्ट्रीय मंचों पर की जा रही है। वर्ल्ड बैंक के बाद अब आईएमएफ भी भारत में चल रहे डीबीटी स्कीम का मुरीद हुआ है। आईएमएफ की बैठक के दौरान फिस्कल अफेयर्स डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर पाओलो माउरो ने कहा कि भारत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। दुनिया में सीखने के लिए बहुत सारे प्रेरणादायी उदाहरण हैं।

भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही “डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर” स्कीम की तारीफ करते हुए आईएमएफ ने कहा है कि भारत से पूरी दुनिया को सीख लेनी चाहिए ,यह अपने आप में एक लॉजिस्टिक मॉर्वल है। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार भी इस स्कीम ने कोरोना महामारी के दौरान करोड़ों लोगों को राहत पहुंचाई है। यही नहीं इस स्कीम के तहत भारत ने कोरोना महामारी के बाद भी विकास की गति को तेज रखा है। वित्त मंत्री द्वारा यह बात उस दौरान कही गई जब वाशिंगटन डीसी में चल रही आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठक 2022 से भिन्न चौथे जी20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स की बैठक चल रही थी। आईएमएफ के मुताबिक भारत अपने जटिल मुद्दों के हल के लिए टेक्नोलॉजी का जिस तरीके से इस्तेमाल कर रहा है उससे कई बातें सीखी जा सकती है।

लाभार्थियों तक पहुंचाई गई राशि

गौरतलब है कि इस स्कीम के तहत कई तरह की सामाजिक कल्याण की योजनाओं का फायदा और सब्सिडी सीधे तौर पर लोगों के खाते में भेजी जाती है।अब लोगों को घंटो भर लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ता। जिससे समय के बचत के साथ -साथ बिचौलियों की भूमिका से भी निजात मिल गया है। यही नहीं लाभधारकों के अकाउंट में सीधे राशि भेजने से ट्रांसपरेंसी भी बढ़ती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से डीबीटी के जरिए करीब 24.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि लाभार्थियों तक पहुंचाई गई है। सिर्फ 6.3 लाख करोड़ रुपयों की राशि 2021-22 में ही पहुंचाई गई है। आंकड़ों के अनुसार,हर दिन 90 लाख से अधिक डीबीटी का भुगतान किया गया है। आईएमएफ के अनुसार गरीबों की मदद के लिए शुरू किया गया यह प्रोग्राम लाखों लोगों तक पहुंचे हैं। इस स्कीम में आधार का इस्तेमाल किया गया है।

एडवांस हो रहा है इंडिया

 

 

 

 

 

 

 

गौरतलब है कि देश भर में लोग अब ऑनलाइन ट्रांजेक्क्शन का इस्तेमाल बढ़चढ़ कर रहे है। दान से लेकर भीख मांगने तक की राशि डिजिटल माध्यम से दी जा रही है। खबरों अनुसार राजू नामक एक भिखारी भीख लेने के लिए ‘QR CODE का इस्तेमाल करता है। भीख लेने के लिए उसके गले में ‘QR CODE’ की तख्ती हमेशा लटकी रहती है और वह अपने साथ टैब भी रखता है। अगर कोई पैसे मांगने पर कहता है कि छुट्टे पैसे नहीं हैं तो राजू बोलता है कि “फोन पे” या “गूगल पे” कर दो। राजू बिहार का पहला डिजिटल भिखारी है। यही नहीं आज के समय लोग इतने एडवांस हो गए है कि छोटी सी छोटी चीज के खरीद के लिए कैशलेस ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं। कुछ महीने पहले ही एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था जिसमें गाय के मालिक ने उसके माथे पर दान लेने के लिए ‘QR CODE’ को लटका रखा है।

 

 

You may also like

MERA DDDD DDD DD