कोरोना संकट के बीच एलोपैथी पर छिडे विवाद का मामला अभी शांत नहीं हुआ है। एक वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए ) के बीच शुरू हुआ यह विवाद सरकार के लिए गले की हड्डी बन चुका है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस मामले में बीच-बचाव करते हुए बाबा रामदेव से अपने विवादास्पद शब्द वापस लेने को कहा था । जिसमें उन्होंने एलोपैथी को अविश्वसनीय करार देते हुए इसके चलते कोरोना में डेढ़ लाख लोगों की मौत की बात कही थी।
जिसके बाद भी ना तो बाबा रामदेव ही अपनी जुबान पर लगाम लगा पाए और ना ही आईएमए ही पीछे रहा । आईएमए ने तो योग गुरु पर 1000 करोड़ का मानहानि का दावा पेश किया। यही नहीं बल्कि दिल्ली सहित कई प्रदेशों में बाबा के खिलाफ आईएमए संगठन के लोगों ने मुकदमा तक दर्ज कराएं।
आज देशभर के डॉक्टरों ने योग गुरु रामदेव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने हाथों में काली पट्टी बांधी हुई थी तथा वह रामदेव के विरोध में नारे लगाते दिखे। इस विरोध प्रदर्शन की खासियत यह रही कि पहले जहां यह मामला प्राइवेट डॉक्टरों और रामदेव के बीच सीमित था लेकिन आज देशभर में बहुत से सरकारी डॉक्टर भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। दिल्ली, उत्तराखंड सहित जम्मू कश्मीर तक कई प्रदेश ऐसे हैं जहां के प्राइवेट और सरकारी डॉक्टरों ने आज ब्लैक डे मनाया। इस दौरान डॉक्टरो ने अपने हाथों पर काली पट्टी बांधी। साथ ही डॉक्टरों ने अपने सोशल मीडिया की डीपी काली कर ली। यही नहीं बल्कि विरोध कर रहे अधिकतर डॉक्टर रामदेव की गिरफ्तारी की भी मांग कर रहे थे।
बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी को लेकर दिए बयान का आज दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने भी विरोध प्रदर्शन किया। जम्मू कश्मीर में भी बड़ी संख्या में डॉक्टर बाबा रामदेव का विरोध करते नजर आए। एम्स के अलावा दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने भी योग गुरू रामदेव का जमकर विरोध किया। इस दौरान कई डॉक्टरों ने हाथ में काली पट्टी बांध रखी थी।
देखने वाली बात यह रही कि इस विरोध प्रदर्शन में बहुत से डॉक्टर पीपीई किट पहन कर भी सामने आए हैं।
फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) समते कई संगठनों ने बाबा रामदेव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा पहले ही कर दी थी।