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IIT दिल्ली ने तैयार की सबसे सस्ता कोरोना जांच किट, ICMR की मिली मंजूरी

24 घंटों में कोरोना से 146 लोगों की मौत, 6,535 नए मामले आए सामने

अभी पूरा देश में दिन पर दिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे है। अभी तक कोरोना संक्रमण के 23 हजार से जयादा मामले सामने आए है। इसी को रोकथाम के लिए पुरे देश में लॉकडाउन लगा है। टेस्टिंग किट के लिए पहले दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था पर अब दिल्ली के आईआईटीस्कूल ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंस के 10 में बर्स के टीम ने कोरोना वायरस डिटेक्टिव किट बनाया है। साथ ही उनका कहना है कि यह सब से सस्ती भी होगी।

इस टीम में 4 फ्रोफेरसोर्स है और 6 पीएचडी स्कॉलर हैं। इस टीम में प्रोफेसर मनोज मेनन, प्रोफेसर विश्वजीत कुंडू, प्रोफेसर विवेकानन्दन पेरूमल, प्रोफेसर जेम्स गोम्स और 6 पीएचडी छात्र शामिल हैं। 22 मार्च से लेकर 9 अप्रैल तक टीम के सदस्यों ने 18-18 घंटे काम किया। लाॅकडाउन के कारण किट को टेस्ट के लिए पुणे भेजने में दिक्कत आ रही थी। हमने एकत्रित होकर काम किया और सफलता भी इनके हाथ लगी।

प्रोफेसर विवेकानन्दन पेरूमल ने बताया, “हमने इस प्रोजेक्ट पर जनवरी में काम करना शुरू किया था, जब कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा था। हमने तीन महीने लगातार इस किट को बनाने पर काम किया और फिर आईसीएमआर के पास स्वीकृति के लिए भेजा।” इनका मानना है कि इसकी कीमत 300 रूपए से भी कम होगी। उसके बाद आईसीएमआर की लैब ने इस बात की पुष्टि की है और इसे मंजूरी भी दे दी।

वहीं आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर राम गोपाल राव ने बताया कि इस किट से एक टेस्ट की कीमत सिर्फ 300 रुपये होगी और ये किसी भी अन्य किट से कहीं तेज काम करेगा। हालांकि, टेस्ट की समय सीमा क्या होगी ये अभी नहीं बताया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना से जुड़े संस्‍थान में और भी शोध हो रहे हैं जो कि हम जल्द ही बताएंगे। प्रोफेसर विश्वजीत कुंडू ने बताया, “काफी सारी कंपनीयों ने हमसे कॉन्टैक्ट किया है जिससे हम जितनी जल्द से जल्द कोरोना डिटेक्शन किट को बाज़ार में उतार सके। हम एक हफ्ते में 30 से 40 हज़ार किट बना सकते हैं।”

पीएचडी स्कॉलर आशुतोष कुमार पांडे ने बताया कि लॉकडाउन के कारण, सामान को लाने ले जाने के तक तकलीफे आईं लेकिन जब आपका उद्देश्य ऊंचा होता है तो ये सभी परेशानियां बहुत छोटी लगती हैं। अभी भी कोरोना वायरस के लक्षणों का पता लगाना चुनौती बना हुआ है यहीं वजह है कि वायरस का संक्रमण तेज़ी से पूरे विश्व भर में फैला है। अब आईआईटी दिल्ली का यह आविष्कार से देश में कोरोना वायरस के संक्रमित मामलों को जल्द से जल्द पहचानने में मदद करेगी। जिस कारण अब इलाज में भी तेजी होना संभव हो पाएगा। इस किट पर आईसीएमआर की मंजूरी लेने वाला आईआईटी दिल्ली ऐसा पहला संस्‍थान बन गया है।

गौरतलब है कि चीन से भी भारत ने जांच किट का आयात किया था लेकिन उसकी गुणवत्ता और परिणामों को लेकर कई तरह की परेशानियां सामने आईं थीं। इसी के साथ ही ‌इस टेस्ट किट को आईआईटी ने पेटेंट करवा लिया है। इसे आईआईटी दिल्ली के फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रॉसफर ने पेटेंट किया है। आईआईटी दिल्ली के सभी शोध इसी के नाम पर पेटेंट किए जाते हैं। कुंडु ने बताया कि इस किट को 9 अप्रैल को आईसीएमआर को दिया गया था उसके बाद उन्होंने कुछ जांच की और किट को मंजूरी दे दी गई। इससे पहले भी किट को परीक्षण के लिए दिया गया था लेकिन मंजूरी नहीं मिली।

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