नई दिल्ली, 18 दिसंबर 2020। केंद्र सरकार के लिए किसान आंदोलन बड़ी चुनौती बन गया है। सरकार इसे बखूबी महसूस कर रही है कि किसान कृषि कानूनों को वापस लेने पर अड़े हुए हैं। फिर भी वह उन्हें मनाने की कोशिशों में जुटी हुई है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक मैदान में आ गए हैं। एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल रैलियों के जरिये किसानोें से संपर्क करने लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके मंत्रीमड़लीय सहयोगी भी किसानों को समझाने के लिेए उनसे संवाद बनाने में जुटे हुए है।
दिसंबर की ठंडी रातों को सहते हुए आंदोलनकारी किसान पिछले 23 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। सरकार कृषि कानूनों को लेकर पीछे नहीं हट रही। किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अडे हुए हैं। दिल्ली और उत्तर भारत में पड़ रही कड़ाके की ठंड से निपटने के लिए किसान और ज्यादा टेंटों की व्यवस्था कर रहे हैं। ताकि किसी किसान को बाहर न सोना पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार अपने अपने मंचों से किसानों को समझाने की कोशिश कर रहे है, पंरतु इसका कोई फायदा नहीं हो रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक ‘किसान कल्याण सम्मेलन’ में मध्य-प्रदेश के किसानों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करेंगे। कार्यक्रम देश के 23,000 गांवों और मध्य प्रदेश के सभी ज़िला मुख्यालयों में दिखाया जाएगा। रायसेन में आयोजित राज्यस्तरीय मुख्य कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हिस्सा लेंगे। बताया गया है कि दूसरे ज़िलों में राज्य के मंत्री इस कार्यक्रम के दौरान किसानों को राहत राशि वितरित करेंगे और ब्लॉक और ग्रामीण स्तर पर भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
सभी किसान भाइयों और बहनों से मेरा आग्रह !
"सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास" के मंत्र पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बिना भेदभाव सभी का हित करने का प्रयास किया है। विगत 6 वर्षों का इतिहास इसका साक्षी है।#ModiWithFarmers pic.twitter.com/Ty6GchESUG
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 17, 2020
किसानों को समझाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम 8 पेजों का पत्र लिखा है। कृषि मंत्री ने अपने पत्र में लिखा, प्रिय किसान भाइयों और बहनों, ऐतिहासिक कृषि सुधारों को लेकर पिछले कुछ दिनों से मैं लगातार आपके संपर्क में हू्ं। बीते दिनों मेरी अनेक राज्यों के किसान संगठनों से बातचीत हुई है। कई किसान संगठनों ने इन कृषि सुधारों का स्वागत किया है, वे इससे बहुत खुश हैं, किसानों में एक नई उम्मीद जगी है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों से ऐसे किसानों के उदाहरण भी लगातार मिल रहे हैं जिन्होंने नए कृषि कानूनों का लाभ उठाना शुरू भी कर दिया है। लेकिन इन कृषि सुधारों का दूसरा पक्ष यह भी है कि कुछ किसान संगठनों में इन्हें लेकर एक भ्रम पैदा कर दिया है। देश का कृषि मंत्री होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर करुं, हर किसान की चिंता दूर करुं। मेरा दायित्व है कि सरकार और किसानों के बीच दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है, उनकी सच्चाई और सही वस्तुस्थिति आपके सामने रखूं। मैं किसान परिवार से आता हूं। खेती की बारीकियां और खेती की चुनौतियां, दोनों को ही देखते हुए समझते हुए मैं बड़ा हुआ हूं।
उन्होंने आगे कहा कि मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे हाथ जोड़कर यह विनती करता हूं कि ऐसे किसी भी बहकावे में आए बिना कृपया तथ्यों के आधार पर चिंतन-मनन करें। आपकी हर शंका को दूर करना उसका उत्तर देना हमारी सरकार का दायित्व है। हम अपने इस दायित्व से न कभी पीछे हटे है और न ही कभी पीछें हटेंगे। बता दें अभी तक किसान आंदोलन में 20 के करीब किसानों की मौत हो चुकी है। हाल ही में संत राम सिंह ने खुद को इसलिए खोली मार ली, क्योंकि सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले की सुनवाई पूरी न होने तक वो कृषि क़ानूनों को अस्थाई तौर पर अमल में न लाने पर विचार करें। सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर कई याचिकाएं डाली गई है जिनमें एक दिल्ली की सीमाओं को लेकर भी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन करना किसानों का मौलिक अधिकार है जब तक कि वो संपत्ति या जीवन को नुक़सान ना पहुंचाए। मामले की सुनवाई अब अगले सप्ताह सर्दी की छुट्टियों के दौरान होगी। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता चाहें तो कोर्ट की वेकेशन बैंच के पास जा सकते हैं।