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गाजियाबाद में जानवरों की मसीहा बनकर उभरी आईएएस अस्मिता लाल

जानवर बेजुबान होते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें दर्द नहीं होता। उन्हें दर्द तो होता है लेकिन वह किसी से कह नहीं सकते । जानवरों के इस दर्द को एक आईएएस ने बखूबी समझा है। यही नहीं बल्कि प्रदेश में पहली बार गाजियाबाद ऐसा जिला बन गया है जहां जानवरों के इलाज के लिए अत्याधुनिक मशीनें लगा दी गई है।
 जी हां , ऐसी आईएएस है अस्मिता लाल। अस्मिता लाल गाजियाबाद की सीडीओ यानी कि मुख्य विकास अधिकारी रह चुकी है। उन्होंने जानवरों के इस दर्द को बखूबी समझा है। इसके चलते ही उन्होंने एक अल्ट्रासाउंड सेंटर स्थापित किया है।
 अल्ट्रासाउंड सेंटर गाजियाबाद के कविनगर में टाइगर मेमोरियल पेट क्लिनिक के नाम से है। यहां पर बीमार जानवरों खासकर कुत्ते और बिल्लियों की बीमारियों को अल्ट्रासाउंड से देखे जाने की व्यवस्था है। अल्ट्रासाउंड जानवरों के पथरी, गर्भ की जांच, टीबी की गांठ और अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इससे पेटस को क्या दिक्कत है इसका पता चलने के बाद उनका बकायदा इलाज किया जाता है।
 फिलहाल, गाजियाबाद में स्ट्रीट डॉग के लिए अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था निशुल्क लागू है। जबकि पालतू पेटस के लिए मिनिमम चार्ज देना पड़ता है ।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि जानवरों के अल्ट्रासाउंड मामले में ही नहीं बल्कि गाजियाबाद एक मामले में भी पहले सुर्खियों में आ चुका है जब यहां पहली बार स्वान शवदाह गृह शुरू किया गया था। प्रदेश में यह भी पहली बार शुरू हुआ जब स्वान की मौत के बाद इलेक्ट्रॉनिक मशीन में उनका क्रिया कर्म कराया जाता है । बहरहाल, अस्मिता लाल जानवरों की बेजुबान भाषा को पढ़कर उनका दर्द दूर करने के लिए जानी जा रही है। वह 2015 बैच की आईएएस ऑफिसर है।

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