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जलियांवाला बाग में जो अपराध हुआ, उसके लिए मुझे शर्म आती है : जस्टिन वेल्बी

जलियांवाला स्थित शहीदी स्मारक पर मंगलवार दोपहर एक अंग्रेज पादरी ने जमीन पर लेटकर शहीदों को नमन किया और जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए माफी मांगते हुए कहा कि इसने ‘गहरी शर्म की भावनाओं’ को उकसाया है। दरअसल, इंग्लैंड के कैंटरबरी के आर्चबिशप वेल्बी भारत भ्रमण पर आए हुए हैं। इस दौरान वह अमृतसर भी पहुंचे। उन्होंने 1919 में बैसाखी वाले दिन अंग्रेज हुकूमत के जनरल माइकल ओ‘डायर के आदेश पर किए गए नरसंहार की घटना पर असंतोष जताया।

जस्टिन वेल्बी ने अमृतसर में जलियांवाला बाग की अपनी यात्रा के दौरान फर्श पर लेट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “उन्होंने जो कुछ किया उसे आपने याद रखा है और उनकी यादें ज़िंदा रहेंगी। यहां जो अपराध हुआ, उसके लिए मुझे शर्म आती है और यहां किए गए अपराध के लिए खेद है, एक धार्मिक नेता के रूप में मैं इस त्रासदी का शोक मनाता हूं।’ विजिटर्स बुक में वेल्बी ने लिखा, ‘यह बहुत ही दुखद है और सौ साल पहले इस तरह के अत्याचारों को देखने वाली इस जगह की यात्रा करने में मुझे शर्म आ रही है। मेरी भावनाएं भड़क रही हैं।’अपने दस दिवसीय भारत दौरे के आखिरी चरण में बिशप ने कहा, ‘मैं एक धर्मगुरु हूं, राजनीतिज्ञ नहीं। एक धार्मिक नेता के रूप में, मैं त्रासदी पर शोक मनाता हूं। यहां मैं लोगों के दुख को महसूस करने और ब्रिटिश लोगों की गोलियों से मारे गए लोगों की मौत पर पछतावा व्यक्त करने आता हूं।’ प्रेस द्वारा पूछे जाने पर कि क्या वह ब्रिटिश सरकार से वह औपचारिक माफी मांगने के लिए कहेंगे?  तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मुझे लगता है कि मैं जो महसूस करता हूं, उसके बारे में बहुत स्पष्ट हूं और मैं इसे इंग्लैंड में प्रसारित करूंगा।’

जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश अधिकारी जनरल डायर ने निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलाई थी। इस नरसंहार में लगभग 1500 लोग मारे गए थे। ये लोग स्वतंत्रता सेनानी सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी का विरोध करने इकट्ठा हुए थे।

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