देश की राजधानी दिल्ली में एम्स और सफदरजंग अस्पताल के बाहर सैकड़ों मरीज हैं जो लॉकडाउन के बाद से फंसे हुए हैं। देश के कोने-कोने से आए इन मरीजों में अधिकतर कैंसर, किडनी और हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं। इन मरीजों का न तो इलाज हो पा रहा है और न ही ये अपने घर लौट पा रहे हैं। आमतौर पर अस्पताल के आसपास की सड़के काफी व्यस्त रहती हैं लेकिन यहां काफी संन्नाटा है। लेकिन यहां मरीजों को देखा जा सकता है जो कई दिनों पहले दूसरे राज्यों से इलाज के लिए आए थे पर यहां आकर फंसे हुए हैं। इसमें अक्सर ऐसे हैं जो आश्रयगृहों और रैनबसेरों में समय गुजारने को मजबूर हैं।
13 साल के बेटे को कैंसर
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के रहने वाले विजय सहाय पेशे से एक किसान हैं। बीते दिनों अपने 13 साल के बेटे का इलाज कराने आए हैं। बेटे को ब्लड कैंसर है। तुरंत इलाज की जरूरत है लेकिन नहीं कोरोना के कारण हो नहीं पा रहा है। सहाय की प्राथमिकता अपने गांव से बीपीएल कार्ड मंगाने की है ताकि उन्हें दवाएं मिल सके। लेकिन न वे घर जा सकते हैं न ही वहां से कोई आ सकता है। और यहां इलाज भी नहीं हो पा रहा है। विजय सहाय का सातवीं कक्षा में पढ़ता है। बेटे को निहारते हुए विजय कहते हैं, ‘‘मैं 15 मार्च से यहां हूं। एम्स के डॉक्टरों ने कुछ दवाएं लिखीं लेकिन वो बहुत महंगी हैं। कुछ लोगों ने मुझे बताया कि मेरे पास बीपीएल कार्ड है तो मुझे दवाएं खरीदनी नहीं होंगी। मुझे अब अपना बीपीएल कार्ड चाहिए, लेकिन मुझे कैसे मिलेगा?’’
घर लौटने को पैसे नहीं
जम्मू से आए एक व्यक्ति इस बसेरे में रहते हैं। 22 साल के अमनजीत सिंह का पिछले साल अक्टूबर में एक्सीडेंट हुआ था। इलाज के लिए अमनजीत को एम्स भेजा गया था। उनका दायां हाथ नहीं हिल हील पा रहा है। डॉक्टर भी अमनजीत की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं। अपने पिता के साथ यहां आए अमनजीत सिंह कहते हैं, ‘‘यहां न तो जांच हो रही है और न ही इलाज हो रहा है। हमारे पास पैसा भी नहीं बचा है। सबसे अच्छा होगा कि हम अपने घर लौट सकें, लेकिन ऐसा भी नहीं कर सकते।’’
होली के पहले आई थीं रेखा
34 वर्षीय रेखा देवी कैंसर की मरीज हैं। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की रहने वाली रेखा होली के पहले अपने पति सुरजीत श्रीवास्तव के साथ इलाज कराने के लिए यहां आई थीं। लेकिन एक महीने बीत गए लेकिन उनकी हालत जस की तस बनी हुई है। इलाज के मामले में अभी कोई शुरुआत नहीं हुई है। घर जाने के सारे रास्ते बंद हैं। ऐसे अनेक लोग दोगुनी पीड़ा झेल रहे हैं। अब हालात सामान्य हों तो उनके इलाज की उम्मीद बढ़े।
ओपीडी बंद होने से मुस्किलें बढ़ीं
कोरोना संकट आने के बाद एम्स और सफदरजंग के सभी ओपीडी बंद कर दिए गए हैं। इसके चलते सैड़कों लोगों का इलाज नहीं हो पा रहा है। सैकड़ों ऐसे मरीज हैं जिसके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। कई ऐसे हैं जो घर वापसी की स्थिति में भी नहीं हैं। सफदरजंग में सिर्फ एक ओपीडी सीमित तरीके से खुल रही है। इन अस्पतालों में रोगी डायलासिस, कीमोथैरेपी और अन्य आपातकालीन चिकित्साओं के लिए कई दिनों, हफ्तों और अब तो कई महीनों से इंतजार कर रहे हैं।