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झारखंड विधानसभा चुनाव का ऐलान अभी नहीं हुआ है। लेकिन प्रदेश में नेताओं की अदला-बदली और नए गठजोड़ का खेल अभी से शुरू हो गया है। पिछले दिनों प्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चम्पई सोरेन आखिरकार
भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनके इस कदम के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या इससे प्रदेश की राजनीति प्रभावित होगी? आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इससे कितना लाभ मिलेगा?

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चम्पई सोरेन एक संताल और बेदाग आदिवासी नेता हैं जिन्हें झारखंड का टाइगर भी कहा जाता है। वे सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रहे हैं और कोल्हान क्षेत्र में उनका अच्छा-खासा प्रभाव है। झामुमो छोड़ते समय जिस प्रकार चंपाई ने गुरु जी शिबू सोरेन के प्रति अपना सम्मान दिखाया उससे स्पष्ट तौर पर यह संदेश दिया कि वे आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा और बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या प्रदेश से मिटाने के लिए बीजेपी के साथ गए हैं।

प्रदेश की राजनीति को करीब से जानने वाले जानकार मानते हैं कि चम्पई के बीजेपी में शामिल होने से झामुमो को नुकसान होगा इसमें कोई दो राय नहीं है। जेएमएम ने एक तरह से बीजेपी को अवसर दे दिया है कि वो खुद को कोल्हान में मजबूत करें। भाजपा की गीता कोड़ा पहले से ही इस क्षेत्र की बड़ी नेता थीं अब चम्पई भी उनके साथ होंगे और वे दोनों मिलकर बीजेपी को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि जेएमएम के पास इस क्षेत्र में और भी नेता हैं। चम्पई के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वे अपने साथ जेएमएम का कितना वोट बैंक भाजपा को दिला सकते हैं। जेएमएम एक ऐसी पार्टी है, जहां से अगर कोई नेता जाता है, तो सिर्फ वो नेता जाता है, उसके साथ अन्य लोग नहीं जाते। जेएमएम वोटर के लिए उनकी पार्टी और उसका झंडा काफी मायने रखता है। बीजेपी यह कोशिश करेगी कि चम्पई का इस्तेमाल जेएमएम के खिलाफ किया जाए, क्योंकि चम्पई सहानुभूति तो मिली है, लेकिन वो जेएमएम के पारंपरिक वोट बैंक में कितना सेंध लगा पाएंगे वो आने वाले दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। चम्पई सोरेन के जो करीबी हैं वो मतदाता तो उनके साथ जाएंगे।

कोल्हान में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं, जहां बीजेपी चम्पई सोरेन के दम पर खुद को मजबूत करने की कोशिश करेगी। विधानसभा की 28 सीटें अनुसूचित जनजाति और 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वहीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी सभी पांच एसटी रिजर्व सीटें हार गई थी। यही वजह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इन सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है ताकि उसे बड़ा नुकसान न हो। इन लोकसभा सीटों के अंतर्गत जो विधानसभा क्षेत्र आते हैं इनमें से सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र सरायकेला, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर में चंपाई सोरेन का अच्छा- खासा प्रभाव है। वहीं कोल्हाण में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।

भाजपा नेताओं का कहना है कि चम्पई सोरेन एक बड़े नेता हैं और ईमानदार नेता है, इतने दिनों में हम भी उनपर कोई आरोप नहीं लगा सके हैं उनके आने से कोल्हान में पार्टी जरूर मजबूत होगी। जहां तक उन्हें सीएम चेहरा बनाने का सवाल है ये पार्टी आलाकमान पर निर्भर है।
गौरतलब है कि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा है, एक सदस्य मनोनीत किया जाता है जिसे मिलाकर कुल संख्या 82 हो जाती हैं। अभी यहां झामुमो के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार है। झामुमो के कुल 26 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 16, भाकपा माले के 1 और राजद का 1 आजसू के पास 3 विधायक है, वहीं 22 बीजेपी के खाते में हैं। झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के पास 2 सीटें हैं। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के पास 1, निर्दलीय 2 और 1 मनोनीत और सात सीटें रिक्त हैं।

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