ये वाक्य हैं पूर्व सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश से इस बात पर आपत्ति दर्ज की थी कि आखिरकार उन्होंने बसपा को आधी सीटें क्यों दीं जबकि आधी सीटों पर जीत हासिल करना सपा के लिए कोई मुश्किल काम नहीं था। मुलायम यहीं पर नहीं रुके और अखिलेश की काबिलियत को शक के दायरे में रखते हुए बोले, ‘उनके पास गोपनीय तरीके से पार्टी नेताओं के पत्र आ रहे हैं। वे सवाल उठा रहे हैं कि जो सीट जीती जा सकती थी वह सीट बसपा को क्यों दे दी। यदि अखिलेश को सीटें तय करने में मुश्किल आ रही थी तो वह सीटें तय करने में मदद कर सकते थे। लेकिन अब उनके हाथ बंधे हुए हैं क्योंकि अब वे पार्टी में सिर्फ संरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं लिहाजा वे कुछ नहीं कर सकते।’
किसी समय राजनीति के दिग्गज पहलवानों में शुमार मुलायम सिंह यादव की बेचारगी इससे पहले कभी नहीं देखी गयी। उनका चेहरा बता रहा था कि वह करना तो बहुत चाहते हैं लेकिन उन्हें पार्टी की गतिविधियों से दूर रखा गया है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पार्टी के ज्यादातर पुराने चेहरे टिकट पाने के लिए सर्वप्रथम मुलायम का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। इन्हें उम्मीद है कि यदि मुलायम सिंह यादव चाह लेंगे तो उनका टिकट पक्का लेकिन मुलायम सिंह यादव ने आज दिए अपने बयान में स्पष्ट कह दिया है कि वे इस मामले में कुछ नहीं कर सकते लिहाजा कार्यकर्ता टिकट के सम्बन्ध में जो बात करना चाहें वह अखिलेश से ही करें।
दूसरी ओर सपा नेताओं का एक वर्ग मुलायम सिंह यादव से इस बात को लेकर नाराज है कि उन्होंने संसद में सोनिया गांधी के बगल में बैठे होने के बावजूद पीएम नरेन्द्र मोदी को दोबारा पीएम बनने का आशीर्वाद दे दिया जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया। कहा तो यहां तक जा रहा है कि नेताजी के इस कृत्य के बाद से काफी संख्या में सपाई पलायन कर शिवपाल यादव में अपनी आस्था जता चुके हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो निश्चित तौर पर सपा के अंत का कारण भी मुलायम ही बनेंगे। सपाईयों की नाराजगी यहीं तक सीमित नहीं है।
सपा नेताओं नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि मुलायम कभी एक स्थान पर नहीं टिकते। कभी वे शिवपाल के कार्यक्रम में उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दे आते हैं तो कभी वे अखिलेश के कार्यक्रम कें शिरकत कर यह जताने की कोशिश करते हैं कि वे अपने बेटे की पार्टी में है। रही बात संसद में मोदी को जीत का आशीर्वाद देने के प्रकरण पर अखिलेश की चुप्पी का तो वे आज भी अपने पिता की इज्जत करते हैं लिहाजा वे इस सम्बन्ध में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न नहीं करना चाहते।
फिलहाल पूर्व सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बेबसी इस बात का संकेते है कि उनका राजनीतिक कैरियर अब समाप्त हो चुका है लिहाजा अब उन्हें आराम की सख्त जरूरत है क्योंकि प्राप्त जानकारी के अनुसार अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को किसी भी चुनावी सभा में न ले जाने के संकेत दिए हैं।