दिल्ली के उत्तर-पूर्व के कई इलाकों में 23 फरवरी की शाम को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। हिंसा में सबसे अधिक सीलमपुर, ज़ाफराबाद, भजनपुरा, चांद बाग़, मौजपुर प्रभावित हुए है। उस दिन शाम को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोधियों और समर्थकों के बीच पथराव हुआ और गोलियां चलीं। उस दिन यहां भारी संख्या में लोग नागरिकता संसोधन कानून का विरोध कर रहे थे। यह विरोध ज़ाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नजदीक किया जा रहा था।
हिंसा के ठीक पहले इस विरोध प्रदर्शन पर कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस के एसीपी की मौजूदगी में तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था कि अगर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से नहीं हटाया तो फिर वो उन्हें हटाने के लिए खुद आगे आएंगे। इतना कहने के बाद कपिल मिश्रा प्रदर्शनस्थल से चले गए। कपिल मिश्रा के इस बयान के तुरंत बाद ही वहां पर पत्थरबाजी शुरू हो गई।
एक तरफ मौजपुर चौक के पास नागरिकता संसोधन कानून के समर्थक मौजूद थे, तो वहीं एक तरफ बाबरपुर के पास सीएए विरोधी लोग मौजूद थे। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इस प्रकरण के कुछ वीडियो भी वायरल हुए जिनमें पुलिस नागरिकता संसोधन कानून के समर्थकों के साथ मिलकर या तो पत्थर फेंकती हुई या मूकदर्शक बनकर खड़ी नजर आई।
इसके बाद दंगाइयों ने यहां मौजूद अनगिनत कारों और गाड़ियों में तोड़फोड़ की और कई को आग के हवाले कर दिया। दंगाइयों ने आसपास की दुकानों को न सिर्फ नुकसान पहुंचाया बल्कि लुटपाट भी किया। जब स्थिति बिगड़ने लगी तो उस पर काबू पाने के लिए पैरामिलिट्री फ़ोर्स को बुलाया गया। उसके बाद दंगाइयों ने घरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। घरों पर पत्थर फेंके गए। भजनपुरा में स्थित पेट्रोल पंप को आग के हवाले कर दिया गया। गोकुलपुरी के टायर मार्केट में भयनाक आग लगा दी गई। वहीं पास में मौजूद स्कूल को भी नुकसान पहुंचाया गया।
जब हमारी टीम वहां पहुंची तो स्थानीय लोगों ने बताया कि कथित दंगाई ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे। साथ ही कह रहे थे कि तुम लोगों ने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया था न तो अब भुक्तो। स्थानीय निवासी ज़हीर बताते हैं कि उस दिन शाम को एक भीड़ आई और हमारे ऊपर पत्थरों से हमला शुरू कर दिया। उन्होंने आगे कहा, “जब हमने पुलिस को फोन किया तो कोई मदद नहीं मिली। पुलिस भी इन नेताओं के सामने लाचार नजर आती है। अभी तक यहां पर केंद्र सरकार की तरफ से कोई नेता नहीं आया है।”
दि संडे पोस्ट को ज़हीर ने ये भी बताया कि आम आदमी के पार्षद ताहिर हुसैन उस वक्त सबकी मदद कर रहे थे। उन्होंने पुलिस को सम्पर्क करके बुलाया था। वहीं एक महिला ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि दंगाई घर में घुसकर पैसे गहने तक लूट ले गए। उन्होंने हमारे घरों को भी आग के हवाले कर दिया। महिला ने सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि दंगा फ़ैलाने वाले कपिल मिश्रा को Y कैटेगरी की सिक्योरिटी मिली और जो (ताहिर हुसैन) सबकी मदद कर रहे थे, उन पर केस दर्ज हो जाता है। ये कैसा इंसाफ है।
दिल्ली सरकार के वक्फ बोर्ड ने फिलहाल दंगा पीड़ितों की मदद के लिए मुस्तफाबाद में एक बड़ा राहत शिविर स्थापित किया है। इस शिविर में शिवपुरी, मुस्तफाबाद और करावल नगर जैसे इलाकों से लोग आए हैं। यहां पर डॉक्टर, लीगल डेस्क, खाना और बाकी जरूरत की चीजों को उपलब्ध कराया गया है। यहां पर दवाओं, भोजन, कपड़े और बिस्तर जैसी सभी आवश्यक चीज़ों की व्यवस्था की गई है।
दिल्ली सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों ने डॉक्टरों, नर्सों और स्वयंसेवियों की कुछ टीमें यहां भेजी हैं। यहां पर मुआवजे के लिए भी फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। इसके लिए कुछ वालंटियर्स को ड्यूटी पर तैनात किया गया। सरकार के तरफ से यहां उन परिवारों के लिए दस्तावेज बनाने के लिए हेल्प डेस्क लगाया गया है जिनके दस्तावेज हिंसा में आग के हवाले हो गए। यहां अन्य लोग भी मदद के लिए सामने आ रहे हैं और अपनी इच्छा से मदद रहे हैं।