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सुक्खू कैबिनेट में ‘हॉली लॉज’ का दबदबा

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने करीब एक महीने बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर 7 विधायकों को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई है। इस मंत्रिमंडल में ‘हॉली लॉज’ को खास तवज्जो दी गई हैलेकिन मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के बीच बैलेंस बनाने के चक्कर में आलाकमान न तो जातीय समीकरण साध सका और न ही प्रदेश का क्षेत्रीय संतुलन बना पाया है। हालांकि,अभी कैबिनेट में 3 मंत्री पद खाली हैं।

दरअसल इस मंत्रिमंडल में काँगड़ा जिले में स्थित जवाली से विधायक चंद्र कुमार, सोलन से विधायक धनीराम शांडिल्य, किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी, शिलाई से विधायक हर्षवर्धन चौहान, शिमला ग्रामीण से विधायक अनिरुद्ध सिंह और जुब्बल कोटखाई से विधायक रोहित ठाकुर ने शपथ ली है। कहा जा रहा है कि इस मंत्रिमंडल में ‘हॉली लॉज’ को खास तवज्जो दी गई है,क्योंकि हिमाचल की राजनीति में अस्सी के दशक से कांग्रेस जब भी सत्ता में आई है प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वीरभद्र सिंह बैठते रहे हैं,उनके ही निवास को होली लॉज के नाम से जाना जाता है। ऐसे में जब-जब हिमाचल में कांग्रेस सत्ता में आई मुख्यमंत्री होली लॉज से ही मिलता रहा है। अब वीरभद्र सिंह की सियासी विरासत उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व बेटे विक्रमादित्य सिंह संभाल रहे हैं। इस बार कांग्रेस सत्ता में वापसी करने के बाद मुख्यमंत्री की रेस में प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सुक्खू दावेदार थे,लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथ जरूर लगी मगर मंत्रिमंडल के गठन में प्रतिभा सिंह का दबदबा दिख रहा है। प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में जगह दी गई है। साथ ही होली लॉज के करीबी रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को भी प्रतिभा सिंह गुट के माने जाते हैं,क्योंकि हॉली लॉज’ से उनका पुराना रिश्ता रहा है।

विक्रमादित्य महज दूसरी बार ही विधायक बने हैं और कैबिनेट में उन्हें जगह देकर उनकी राजनीतिक लॉन्चिंग हिमाचल की सियासत में कर दी गई है। सुक्खू कैबिनेट में शिमला जिले में 3 मंत्री बनए गए हैं जबकि हिमाचल के सबसे बड़े जिले कांगड़ा से सिर्फ एक ही मंत्री बनाया है। तो 5 जिले ऐसे रहे, जहां से किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई है। शिमला जिले से विक्रमादित्य सिंह, रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह को मंत्री बनाया गया है तो सोलन से धनीराम शांडिल्य, किन्नौर से जगत सिंह नेगी और सिरमौर से हर्षवर्धन चौहान को मंत्री पद मिला है। हमीरपुर से मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और ऊना से उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री हैं। शिमला जिले से जिन 3 नेताओं को मंत्री बनाया गया है, वो सभी प्रतिभा सिंह के करीबी हैं। ऐसे में साफ जाहिर होता है कि पार्टी मुख्यमंत्री सुक्खू और प्रतिभा सिंह के बीच संतुलन बनाने के चक्कर में क्षेत्रीय समीकरण और बैलेंस नहीं बना सकी है। प्रतिभा सिंह के मुख्य गढ़ शिमला और उसके आसपास इलाके को ही तवज्जो मिली है। 5 जिले से 1 भी मंत्री नहीं बनाया गया है,ऐसे में कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय संतुलन बनाने में फेल रही है।

इस कैबिनेट में सिर्फ एक ही जातीय का पूरी तरह से वर्चस्व दिख रहा है,क्योंकि 7 मंत्री ठाकुर हैं तो 1 ब्राह्मण और 1 दलित समुदाय का मंत्री बनाया गया है। इस तरह से सुक्खू कैबिनेट पूरी तरह से ठाकुर डोमिनेटेड है। मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण हैं तो मंत्री धनीराम शांडिल अनुसूचित जाति से आते हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सहित बाकी मंत्री ठाकुर समुदाय से हैं। हालांकि कांग्रेस ने इस समुदाय के नेताओं को कैबिनेट में अहमियत देकर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सियासी फायदा उठाने की कवायद की है। हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी ठाकुर समुदाय की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक,हिमाचल में लगभग 32 फीसदी आबादी ठाकुर समुदाय की है,जबकि 25 फीसदी दलित 16 फीसदी आबादी ब्राह्मण समुदाय की है।

इस तरह से देखे तो केवल 3 समुदाय को प्रदेश के मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हिमाचल विधानसभा चुनाव में जमकर वोट देने वाली महिलाओं को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। इसके अलावा ओबीसी समुदाय से भी किसी को जगह नहीं मिली है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कैबिनेट का विस्तार होता है तो दलित समुदाय से आने वाले विधायक यादवेंद्र गोमा, विनय कुमार या फिर रामपुर से नंदलाल में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। इसी तरह ब्राह्मण कोटे से दूसरे चरण के कैबिनेट विस्तार में धर्मशाला से सुधीर शर्मा, ज्वालामुखी से संजय रत्न, नगरोटा बगवां से आरएस बाली और घुमारवीं से राजेश धर्माणी में से एक मंत्री मिल सकता है।

 

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