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‘द मिथ ऑफ़ होली काऊ’ किताब लिखने वाले इतिहासकार डीएन झा का निधन 

देश के जाने-माने इतिहासकार डीएन झा का 4 फरवरी 2021 को निधन हो गया। वे भारत के प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास के प्रतिष्ठित जानकारों में से एक थे।
अपने लेखकीय जीवन में उन्होंने कई ऐसे पुस्तक और लेख लिखे जो देश भर में इतिहासकारों के बीच चर्चा का विषय रहता था।कभी उनकी घोर आलोचना होती तो कभी अपनी किसी किताब की वजह से वे विवादों के घेरे में भी आते थे।
डीएन झा ने राम मंदिर विवाद को लेकर भी एक रिसर्च की थी जिसमें उन्होंने मस्जिद के नीचे मंदिर होने की बात को नकारा था। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली विश्वविद्याल में इतिहास के प्रोफेसर रहे डीएन झा इंडिन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के सदस्य भी रहे।

गाय पर आधारित अपनी एक किताब को लेकर वे विवादों में आ गए थे 

 

डीएन झा ने बीए ऑनर्स की पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से की थी। इसके बाद उन्होंने पटना युनिवर्सिटी से इतिहास में एमए किया।झा अपनी रिसर्च और किताबों की वजह से विवादों में भी रहे।उनकी किताब ‘द मिथ ऑफ होली काऊ’ को लेकर काफी विवाद हुआ थ। इस किताब में उन्होंने कहा था कि वैदिक और उत्तर वैदिक काल में हिंदुओं में गोमांस भक्षण किया जाता था। सामान्य तौर पर हिंदू धर्म में आस्था की निगाह से देखी जाने वाले गोवंश को लेकर ऐसी रिसर्च पर काफी विवाद हुआ था।
प्रसिद्ध लेखक अरुण शौरी ने आरोप लगाया था कि डीएन झा ने नालंदा विश्वविद्यालय को बर्बाद किए जाने की घटना पर तथ्यों के साथ तोड-मरोड़ की। इस पर इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में डीएन झा ने कहा था कि शौरी उनके कहे को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।डीएन झा ने अरुण शौरी द्वारा वामपंथी इतिहासकारों पर लिखी गई किताब की भी निंदा की थी।
उनकी किताब ‘द मिथ ऑफ होली काऊ’ भले ही विवादों में रही लेकिन देश के इतिहास और भूगोल पर उनकी हमेशा पैनी नजर रहती थी। बीमारी के चलते उनके निधन के बाद साहित्य वर्ग के साथ-साथ कला से जुड़े कई लोगों ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

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