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‘हेलो अस्लाम वालेकुम, मेरा नाम है आयशा आरिफ खान’

गुजरात के साबरमती नदी में कूद कर आत्महत्या करने से पहले 23 वर्षीय आयशा ने अपने आखिरी वीडियो में मुस्कुराते हुए यही कहा। 25 फरवरी 2021 को देश ने एक ऐसी लड़की को मरते देखा जो मरने से पहले बस एक ही सवाल पूछ रही थी कि आखिर इन सबमें मेरी क्या गलती?
आयशा की शादी, गुजरात के जालौन में रह रहे और माइनिंग का काम कर रहे आरिफ के साथ 6 जुलाई 2018 को हुई थी। आयशा के मामा के अनुसार आरिफ का परिवार आयशा को दहेज के लिए प्रताड़ित करता था। परिवार ने कोर्ट में इसके लिए केस भी दर्ज कराया था लेकिन लगभग दो साल बीत जाने के बाद भी आएशा के परिवार को कोई न्याय नहीं मिला। अंततः हुआ यह कि बेटी ने माता-पिता को यह कह कर मौत को गले लगा दिया कि, ‘कब तक लड़ाई लड़ोगे आप। आयशा इसलिये नहीं है। लड़ने के लिए नहीं है।’
आयशा ने इतनी मानसिक यातनाएं सही कि उसको इंसानी रिश्तों में यकीन ही नहीं रहा। वो वीडियो में यह भी कहती है कि, ‘अल्लाह मुझे इंसानों की शक्ल अब न दिखाए। मैं हवाओं की तरह हूं बस बहना चाहती हूं। अलविदा, मुझे दुआओं में याद रखना।’ आयशा मामले में  आॅल इंडिया मजलिस- ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि उस बच्ची का वीडियो देखा। दहेज के लालच को खत्म करना चाहिए। बीवी पर जुल्म करना मर्दानगी नहीं है। बीवी को मारना मर्दानगी नहीं है। बीवी से पैसे मांगना भी मर्दानगी नहीं है, और जो ये करता है वो मर्द कहलाने के लायक नहीं है।
फिलहाल गुजरात पुलिस ने आयशा के पति आरिफ को राजस्थान के पाली से गिरफ्तार कर लिया है। कुछ भी हो अब आयशा के मां-बाप को उनकी बेटी वापस नहीं मिल सकती। सवाल तो यह है कि लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां दहेज रूपी दानव के आगे देश के बेटियों की बलि चढ़ाई जा रही है, आखिर कौन है इसका असल जिम्मेदार? क्या न्यायपालिका और कानून इतने कमजोर हो चुके हैं कि दहेज लोभियों पर लगाम नहीं लग पा रही है।

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