विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साधना करने जाते है तो पूरा प्रशासनिक अमला उनकी देखरेख में लगा हुआ होता है। यहा तक कि उनके केदारनाथ दौरे को लेकर देश और दुनिया की मीडिया कवरेज तक मिलती है। लेकिन वही दूसरी तरफ पिछले सात साल में केदारनाथ के वायु मार्ग पर लगातार एक के बाद एक सात घटनाए घट जाती है। जिनकी तरफ ना तो राज्य सरकार और ना ही केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। आखिर क्या वजह है कि केदारनाथ में केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने सात साल में सात बार घट चुकी हेलीकाॅप्टर क्रेश की घटनाओं की तरफ ध्यान तक देना उचित नही समझा है?

केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की आज 7 वीं घटना घटी है। जिनमें पायलेट सहित छह यात्री थे सवार । हालांकि इस बार शायद पायलट और हेलीकाॅप्टर में सवार लोगों की किस्मत अच्छी थी कि वह सकुशल है। लेकिन इस हेलीकाॅप्टर क्रेश की सातवी घटना के बाद यह सवाल उठाए जाने लगे है कि अब तक इन मामलों की जांच क्यों नहीं कराई गई। इन मामलों में उत्तराखंड की राज्य सरकार के अलावा केन्द्र सरकार भी सवालो और संदेहो के घेरे में है। केन्द्र सरकार के एविसन डिपार्टमैंट पर आरोप है कि वह इन मामलों में लगातार लापरवाही बरत रहा है ।

बता दें की आपदा के बाद से केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की यहं 7वीं घटना है।केदारनाथ जल प्रलय के बाद यहां रेस्क्यू अभियान में सेना के एमआई-17 सहित 4 हेलीकॉप्टर क्रैश हुए हैं। जबकि 3 घटनाएं होने से बाल बाल बची हैं।
गौरतलब है कि इन दुर्घटनाओं में वायु सेना के 20 अधिकारी जवानों समेत 2 प्राइवेट हेलीकॉप्टर के पायलट और कोपायलट की मौत हुई है। सात सालों में हेलीकॉप्टर क्रैश होने की चार घटनाओं में तीन घटनाएं महज वर्ष 2013 में ही घटित हुई है। जिसका प्रमुख कारण खराब मौसम बताया गया ।

केदारनाथ धाम के लिए वर्ष 2003 से हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने के बाद पहली बार वर्ष 2010 में केदारनाथ धाम में एक प्राइवेट हेली के पंखे से एक स्थानीय व्यक्ति का सिर कटने की घटना हुई। तब स्थानीय लोगों में हेली कंपनियों के खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश देखा गया था।