सब जानते है कि पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के गुरु भाई है। ऐसे में जब गुरुभाई रेप केस में फसे हो तो उनका बचाव करने का जिम्मा भी योगी का है। इसे वह बखूबी निभा भी रहे है । इसका उदाहरण 2011 का वह बलात्कार मामला है जो हरिद्वार में उनके आश्रम में रह रही एक साध्वी ने दर्ज कराया था। योगी सरकार ने दुष्कर्म के उस मामले को खत्म करने के लिए 2017 में ही आदेश तक जारी कर दिए थे। हालांकि साध्वी पीडिता तब इस मामले पर चुप नहीं बैठी थी बल्कि राष्ट्रपति से लेकर पीएम दरबार तक दरख़्वास्त लगा डाली थी। जिसके चलते योगी की यूपी सरकार बाबा चिन्मयानंद को दुष्कर्म के इस चक्रव्यूह से बाहर निकालने में सफल नही हो पाई थी।
लेकिन फिलहाल एक महीने से चल रहे हाईफाई ड्रामे में अब योगी सरकार ने एक बार फिर बाबा चिन्मयानंद पर बलात्कार के मामले में बाजीगरी दिखाई है। बाजीगरी यह है कि पीडिता के द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयानो में यह बताया जा चुका है कि उसके साथ चिन्मयानंद ने बलात्कार किया था । इस बाबत वह 24 विडियो क्लिपिंग भी पुलिस के सामने पेश कर चुकी है। लेकिन जांच कर रही प्रदेश की विशेष पुलिस दल ( एसआईटी ) ने बावजूद इसके बाबा को बचाने और पीडित छात्रा को फंसाने की पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर ली है।
फिलहाल भाजपा सरकार में पूर्व केंद्रीय रह चुके रेप के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद को पुलिस ने गिरफ्तार तो किया लेकिन उनपर रेप की धाराओं के तहत मुकद्दमा दर्ज नहीं किया गया है । बल्कि स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ रेप का आरोप लगाने वाली पीड़ित युवती के खिलाफ फिरौती मांगने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है ।
जबकि 72 साल के स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ पुलिस ने पीड़िता के बयान के बावजूद आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज ना करते हुए 376(C) के तहत केस दर्ज किया है । जिसमें शारीरिक संबंध बनाने के लिए पद का दुरुपयोग करना या शारीरिक संबंध बनाना जिसे रेप नहीं कहा जा सकता आता है । इस अपराध में दोषी को 5 से 10 साल तक जेल और जुर्माने का प्रावधान है । जबकि रेप के कानून में 7 साल जेल से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है ।
कल चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के साथ ही पुलिस ने युवती के ही परिवार के तीन लोगों को भी फिरौती मांगने के आरोप में जेल भेज दिया है।पुलिस का कहना है कि पीड़ित युवती भी इस साजिश में शामिल थी । पुलिस का कहना है कि वो युवती के खिलाफ उसने इस बाबत सबूत खोज लिए हैं ।
उधर पीडित छात्रा का कहना है कि वो मामले की जांच कर रही एसआईटी को पहले ही चिन्मयानंद की वीडियो दे चुकी है जो उसने अपने चश्में में छिपाकर बनाई थी । पीडिता कह रही कि जो उसने सोचा था वही हो रहा है । उसने कहा कि फिरौती के किसी मामले से उसका कोई लेना देना नहीं है । चिन्मयानंद के खिलाफ सारे सबूत होने के बावजूद पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने में देरी बरती जिससे पता चलता है कि वो कितना रसूखदार है ।
गौरतलब है कि चिन्मयानंद के अलावा पुलिस ने तीन और लोगों को धमकी देने और फ़िरौती मांगने के लिए गिरफ्तार किया है । ये तीन शख्स हैं संजय सिंह, विक्रम और सचिन। एसआईटी ने बताया कि चिन्मयानंद को फ़िरौती मांगने के लिए किये जा रहे फोन कॉल और इन तीन आरोपियों की लोकेशन एक थी । जिसके आधार पर उनकी गिरफ्तारी की गयी। कहा ये जा रहा है कि ये तीनों व्यक्ति पीड़िता के चचेरे भाई हैं, जिन्होंने चिन्मयानंद को वीडियो वायरल करने की धमकी देकर 5 करोड रुपए की रंगदारी मांगी थी । फ़िरौती की रकम 5 करोड़ थी।
एसआईटी ने यह भी कहा है कि इन तीनों व्यक्तियों की पीड़िता से भी बातचीत होती रही । जिसकी वह काॅल डिटेल अपने पास होने का दावा कर रही है। इसी के साथ एसआईटी एक कार में बनाए गए विडियो क्लिपिंग को भी इस मामले में सबूत मानकर चल रही है। बताया जा रहा है कि जब कार में विडियो बनाया जा रहा था और 5 करोड की रंगदारी से संबंधित बात हो रही थी तो पीडित छात्रा उसी कार में सफर कर रही थी।
यह उन दिनों की बात है जब 24 अगस्त को सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करने के बाद छात्रा अचानक लापता हो गई थी। तब पुलिस ने इनकी लोकेशन निकाली है वह दिल्ली से राजस्थान के बीच की है। याद रहे कि पीडिता 24 अगस्त को वीडियो जारी करने के बाद अपने एक मित्र के साथ पहले दिल्ली और फिर उसके बाद राजस्थान गई थी। बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने छात्रा को उसके मित्र के साथ राजस्थान से बरामद किया था।
इसके चलते एसआईटी को संदेह है कि 5 करोड की रंगदारी की साजिश में पीड़िता भी शामिल है । सूत्र बताते है कि पीड़िता का नाम दर्ज किया जा चुका है । ज़रूरी विवेचना के बाद एसआईटी पीड़िता की कभी भी गिरफ्तारी कर सकती है ।
इस तरह यूपी पुलिस की विशेष जांच दल ने बाबा को बचाने और पीडित छात्रा को फंसाने की पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर ली है। जल्द ही वह अपने अगले दांव को आजमा सकती है। जिसमें पीडिता के लिए फंदा बनाया जा चुका है। यहा यह भी उल्लेखनीय है कि एसआईटी के चीफ नवीन अरोड़ा इस मामले के कनेक्शन दिखाते हुए यह भी कह चुके है कि 5 करोड की रंगदारी मांगने में पीड़िता भी शामिल थी ।