केंद्र सरकार के दवारा पारित किए गए तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 21 दिनों से डटे हुए हैं। किसानों ने एक बार फिर दिल्ली-नोएडा के चिल्ला बार्डर को ब्लॉक कर दिया है। केंद्र सरकार ने किसानों को लिखित प्रस्ताव दिया था, जिसे किसान संगठनों ने ठुकरा दिया है। हालांकि इससे पहले किसान संगठनों और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच कई दफा वार्ता हो चुकी है, लेकिन हर बार वार्ता बेनतीजा निकली।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इनमें दिल्ली की सीमाओं पर भीड़ इकट्ठा करने, कोरोना वायरस के संकट को लेकर याचिका लगाई गई है। इसके अलावा किसान आंदोलन में मानवाधिकारों, पुलिस एक्शन और किसानों की मांग मानने की अपील की गई है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी।
वहीं पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धु ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इंश्योरेंस के नाम पर किसानों को लूटने का काम हो रहा है और कंपनियों को सीधा फायदा हो रहा है। पहले जब सरकारी कंपनी इंश्योरेंस करती थी, तबतक किसान को फायदा होता था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसानों को खालिस्तानी, आंतकवादी कहा जा रहा है। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह किसानों को बदनाम करना बंद करें। अगर सरकार को बात करनी है तो सभी किसानो से एक साथ बात करे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार अपने मंचो से किसानों को समझा रहे हैं कि यह बिल उनकी ऑय दोगुनी करेंगे, पंरतु अभी तक धरने पर बैठे किसानों से प्रधानमंत्री मिलने तक नहीं गए। पीएम ने हाल ही में कहा कि दिल्ली को घेरने वाले किसानों को गुमराह किया गया है। कांग्रेस, वामपंथियों देश के अन्य विपक्षियों पर भाजपा नेता आंदोलन को हाईजैक करने का आरोप लगा रहे है। लेकिन किसान कृषि बिलों को वापिस लेने की मांग पर अड़े हुए है। तो वही सरकार कृषि बिलों पर पीछे नहीं हट रही।