दिल्ली से सटे हरियाणा के नूंह जिले में पिछले कई दिनों तक हिंसा जारी थी, जिसके खत्म होते ही खट्टर सरकार ऐक्शन में नजर आई। जिसका परिणाम यह हुआ कि हिंसा के बाद से ही हिंसा में शामिल आरोपियों के खिलाफ चारों ओर बुलडोज़र की आवाज़ गूंज पड़ी।
हालांकि अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद बुलडोजर अभियान पर ब्रेक लग गई है। गौरतलब है कि हरियाणा सरकार द्वारा नूंह की हिंसा में शामिल आरोपियों के निर्माण और दुकानों को लगातार गिराया जा रहा था। जिसे देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की जस्टिस संध्या वालिया ने नूंह जिला प्रशासन को आदेश देते हुए कहा है कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई रोकने के आदेश दिए हैं।
सैकड़ों निर्माण को गिराया गया
नूंह में सांप्रदायिक हिंसा के बाद अधिकारियों ने लगातार चौथे दिन भी बुलडोजर अभियान चलाया था। इस कार्यवाही के दौरान बुलडोज़र से एक तीन मंजिला होटल को भी गिरा दिया गया । क्योंकि इसी होटल की छत से ब्रजमंडल यात्रा पर पथराव हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार नूंह के डीसी धीरेंद्र खडगटा का कहना है कि अब तक कुल 162 अवैध रूप से बनाए गए स्थाई और 591 अस्थाई निर्माणों को गिराया जा चुके है। जिसके आधार पर अब तक 37 जगहों पर 57.5 एकड़ जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त किया गया है। वहीं दूसरी ओर हिंसा के चलते नूंह में आठ अगस्त तक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
क्या है नूंह हिंसा का मामला
बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद द्वारा हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को निकाले गए ब्रजमंडल यात्रा के दौरान ये झडप हुई । यह यात्रा नूंह के नल्हड़ शिव मंदिर से फिरोजपुर-झिरका की तरफ रवाना हुई थी। यात्रा के दौरान दोनों समुदायों के बीच किसी बात को लेकर झड़प हुई और देखते ही देखते दोनों समुदायों के बीच पत्थरबाजी और फायरिंग शुरू हो गई।
इन दोनों समुदायों के बीच भड़की हिंसा का कारण मोहित यानि मोनू मानेसर को बताया जा रहा है। दरअसल मोनू मानेसर कुछ महीनों पहले राजस्थान के भरतपुर निवासी जुनैद और नासिर के शव भिवानी में जली हुई कार में मिले थे। जिसका आरोपी मोनू मानेसर है। लेकिन फिलहाल ये पुलिस की गिरफ्तारी में नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस घटना के एक दिन पहले मोनू मानेसर ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि वो इस यात्रा में शामिल होंगे। जिसके बाद से ही दोनों समुदायों में तनाव का माहौल बन गया। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के आते ही दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे धमकियां देने लगे। और इसी का परिणाम है की यह हिंसा पैदा हुई। हालांकि गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि जिस तरह पत्थर इकट्ठे करके, गोलियां चला के हिंसा हुई है, ये एकदम से नहीं हुई।
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