हरियाणा विधानसभा में शुक्रवार 6 नवंबर को चार महत्वपूर्ण बिलों को पास कर दिया गया है। हालांकि कृषि कानूनों पर कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया, और सदन के बाहर धरना प्रदर्शन करने लगे। पास किए गए चार बिलों में जो सबसे महत्वपूर्ण बिल राइट टू रिकॉल का है। इसके तहत अगर ग्रामीणों को किसी ग्राम प्रधान के कार्य अच्छे नहीं लगते तो वह वोट डाल कर उसे वापिस कर सकते है। पंरतु इसके लिए एक साल की समय अवधि रखी गई है। एक साल से पहले आप सरपंच को उनके पद से नहीं हटा सकते, मगर एक साल पूरा होने के बाद संबधिंत अधिकारी ग्राम सभा में बैठक बुलाकर 2 घंटे चर्चा करेंगे, उसके बाद अगर 67 प्रतिशत मतदान के ग्राम प्रधान के विरुद्ध होता है तो उसे हटा दिया जाएगा। अगर ग्राम प्रधान के विरोध में दो तिहाई मतदान नहीं होता तो अगले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। राइट टू रिकॉल साल में एक ही बार लाया जा सकता है।
यहीं नियम ब्लॉक समितियों जिला परिषद सदस्यों पर भी लागू होगा। 50 प्रतिशत की मांग पर अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है जिसनें राइट टू रिकॉल बिल पास किया है। हरियाणा में पंचायत के चुनाव अगले साल फरवरी में होने हैं अगर राज्यपाल सत्य देव नारायण बिल पर मुहर लगा देते है तो यह अगले साल होने वाले पंचायती चुनाव में यह बिल लागू हो जाएगा। दूसरा बिल जिसमें महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए ऑड ईवन का फार्मूला लागू होगा, यानी पहले चुनाव में सम संख्या वाले वार्ड, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद से महिलाएं चुनाव लड़ेंगी। अगले चुनाव में विषम संख्या वाले वार्ड व पंचायत महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यानी पहले चुनाव में जिन वार्ड/पंचायत में महिला उम्मीदवार लड़ेंगी।
तीसरा बिल जिसमें बीसीए वर्ग को पंचायती राज संस्थानों में 8 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाएगा। ग्राम पंचायत,जिला परिषद और ब्लाक समितियों में कम से कम एक वार्ड में इसके लिए आरक्षित रहेगा। जिन नगर निगमों में मेयर, नगर परिषद व नगरपालिकाओं में चेयरमैन सीधे चुने जाएंगे, उनके खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। अविश्वास प्रस्ताव तभी आएगा, जब 50% सदस्य लिखित में देंगे। तीन चौथाई मतों से मेयर, चेयरमैन हटाए जा सकेंगे।