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लंच डिप्लोमेसी से कैप्टन-सिद्धू के बीच दूरी पाटने में सफल होंगे हरीश रावत

पंजाब का राज्य प्रभारी बनते ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सबसे पहले नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच आपसी सामंजस्य बिठाने का बीड़ा उठाया। कांग्रेस के सीनियर लीडर हरीश रावत यह बखूबी जानते हैं कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच काफी लंबे अरसे से दूरी बनी हुई है। दोनों में आपसी कड़वाहट थी। इसे दूर करना रावत की प्राथमिकताओं में शामिल रहा। रावत बखूबी जानते हैं कि पंजाब में कांग्रेस की वापसी के लिए नवजोत सिंह सिद्धू का मुख्यधारा में लाया जाना जरूरी है।

जिसके लिए रावत ने अपने राजनीतिक अनुभव का इस्तेमाल किया। इसके चलते ही पिछले 4 माह में हरीश रावत कैप्टन और सिद्धू के बीच दो मुलाकात कराने में सफल रहे हैं। दोनों के बीच दूरी घटती भी दिख रही हैं।

रावत ने सबसे पहले 25 नवंबर को कैप्टन और सिद्धू के बीच की दूरी को पाटने के लिए लंच प्रोग्राम कराया। हालांकि तब लगा था कि सिद्धू मान जाएंगे । लेकिन इसके 3 महीने बाद ही एक बार फिर सिद्धू कैप्टन पर राजनीतिक बात करते दिखे । 3 दिन पहले ही सिद्धू ने यह कहकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी कि सरकार जितना धन खर्च कर रही है उतना विकास कहीं दिख नहीं रहा है। इसके बाद से ही कांग्रेस की पंजाब राजनीति में फिर से भूचाल आने की आहट होने लगी।

इससे पहले की पंजाब में पार्टी के बीच कैप्टन और सिद्धू की गुटबाजी चरम पर पहुंचे, हरीश रावत ने एक बार फिर दोनों दिग्गज नेताओं के बीच लंच डिप्लोमेसी की रणनीति को अपनाया है। जिसके तहत आज कैप्टन और सिद्धू के बीच लंच होगा । इस लंच में दोनों के बीच की दूरी समाप्त होने की उम्मीद है।

पिछले 1 साल से ही नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब के कैबिनेट मंत्रालय से इस्तीफा दे रखा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके महत्वपूर्ण विभागों को मंत्रालय से हटा दिया है। यानी कि उन्हें ऐसे मंत्रालय दिया गया है जिसका औचित्य ना के बराबर है। इसके बाद दोनों में हुई तकरार सबके सामने आ गई थी।

फिलहाल प्रदेश के प्रभारी हरीश रावत दोनों नेताओं के मन मिलाना चाहते हैं। इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है । कयास लगाए जा रहे हैं कि पंजाब में एक बार फिर से नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस राजनीति की मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं । नवजोत सिंह सिद्धू को फिर से कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।

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