पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई अब चरम पर पहुंच गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिध्दू के बीच कई महीनों से चली आ रही यह जंग अब इस मोड़ पर आ चुकी है कि पार्टी संगठन के राष्ट्रीय नेताओं को भी अपनी चपेट में लेने लगी है। इस बीच पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी एवं पंजाब कांग्रेस के महासचिव परगट सिंह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पंजाब के प्रभारी हरीश रावत पर ही निशाना साधा है। परगट सिंह ने सवाल उठाया है कि हरीश रावत को 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कराए जाने संबंधी बयान देने का अधिकार आखिर किसने दिया है।
पंजाब के झगड़े में जिस तरह पार्टी महासचिव हरीश रावत को निशाना बनाया गया , शायद यही वजह है कि रावत भी पंजाब का प्रभार छोड़ने को इच्छुक हैं। शायद वो पंजाब के दो पाटों में नहीं पिसना चाहते। परगट सिंह ने कहा कि उन्हें तो यह पता है कि खड़गे कमेटी, जिसके समक्ष वह खुद भी पेश हुए थे, ने यह फैसला लिया था कि चुनाव संबंधी कोई भी घोषणा करने का अधिकार मात्र सोनिया गांधी के ही पास है। यह तो अब हरीश रावत को ही बताना चाहिए कि उन्हें पंजाब में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर घोषणा करने का अधिकार आखिरकार किसने दे दिया है।
परगट सिंह ने कहा कि हरीश रावत की उक्त घोषणा का असर पंजाब के वोटरों के ऊपर सीधे तौर पर हुआ है। परगट सिंह ने एक बार फिर से नवजोत सिंह सिद्धू का पक्ष लेते हुए कहा कि बीते दिनों सिद्धू की तरफ से जो बातें कही गई हैं, वह संभवत: हरीश रावत को लेकर ही हैं। नवजोत सिद्धू की बात सोनिया गांधी अथवा पार्टी नेतृत्व को लेकर नहीं थी।
परगट ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने बीते दिनों अमृतसर में कहा था कि अगर पार्टी हाईकमान ने उन्हें निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया तो वह ईंट से ईंट बजा देंगे। परगट ने कहा कि पावर एग्रीमेंट रद करने संबंधी फैसला भी सोच समझ कर लिया जाना चाहिए। ऐसा न हो कि बाद में कानूनी लड़ाई लड़ने पर भी करोड़ों का खर्च आ जाए। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से लिये जाने वाले फैसले सीलबंद लिफाफे में नहीं होने चाहिए, बल्कि सबके सामने होने चाहिए।
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बता दें, नवजोत सिंह सिद्धू के साथ परगट सिंह शुरू से ही सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमलावर रहे हैं। यही कारण है कि सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस की कमान संभालते ही परगट सिंह को पार्टी का पंजाब महासचिव नियुक्त कर दिया। पूर्व हॉकी कैप्टन परगट इससे पहले अकाली दल में थे, लेकिन बाद में वह अकाली नेतृत्व पर अंगुली उठाने लगे थे। तब नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा में हुआ करते थे और अकाली दल व भाजपा का गठबंधन था।
बाद में परगट सिंह ने अकाली दल से इस्तीफा दे दिया था। पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मिलकर चौथा फ्रंट आवाज-ए-पंजाब बनाया था। हालांकि यह फ्रंट ज्यादा दिन तक नहीं चला। नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस का दामन थाम लिया और परगट सिंह भी कांग्रेस में पहुंच गए। अब ठीक उसी तर्ज पर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिद्धू व परगट सिंह की जोड़ी कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित पार्टी के अन्य नेताओं पर हमलावर है।
दरअसल , राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिध्दू के बीच काफी समय से चल रही नोक – झोंक बढ़ती ही जा रही है। पिछले हफ्ते पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह के बीच कैप्टन विरोधी गुट को पार्टी प्रभारी हरीश रावत ने कड़ा झटका दिया था । इसके बावजूद बागी मंत्री बैकफुट पर आने को तैयार नहीं हैं। पंजाब के बागी मंत्री और उनके साथ आए कई विधायक अब भी अपनी जिद पर अड़े हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत करने वाले चार मंत्री और कुछ विधायक अब कांग्रेस आलाकमान से मिलेंगे और अपनी बात रखेंगे। दूसरी ओर बताया जाता है कि आलाकमान का सिद्धू गुट और बागी नेताओं पर रुख कड़ा हो गया है।आलाकमान पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की कार्यप्रणाली और बयानों से नाराज है। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी नेतृत्त्व द्वारा पंजाब को लेकर कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है।
पंजाब में सिध्दू गुट अपनी ताकत का अहसास करने की कोई कोशिश नहीं छोड़ रहा है,लेकिन राज्य में कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने कैप्टन को 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बता कर विरोध का झंडा बुलंद करने वाले विधायकों की सारी हेकड़ी निकाल दी ।