[gtranslate]
Country

गुर्जर नेता सुरेंद्र नागर बनेंगे तीसरी बार सांसद

 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जरो के कद्दावर नेता सुरेंद्र नागर को भाजपा फिर से राज्य सभा सांसद बनाएगी। नागर इससे पहले भी राज्य सभा सांसद थे, लेकिन तब वह सपा के कोटे से थे। इस बार नागर को तीसरी बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त होगा।

इसी के साथ संजय सेठ को भी भाजपा राज्य सभा भेज रही है। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है राज्यसभा उपचुनाव की अधिसूचना 5 सितंबर को जारी होगी।

उत्तर प्रदेश में फिलहाल राज्यसभा की दो सीट खाली हैं। समाजवादी पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सुरेंद्र नागर तथा संजय सेठ के इस्तीफा देने से दोनों सीट खाली हुई थी । सुरेंद्र नागर ने दो अगस्त को और संजय सेठ ने पांच अगस्त को इस्तीफा दिया था। इनका कार्यकाल चार जुलाई 2022 तक है। इन दोनों सीट के लिए राज्यसभा उपचुनाव 23 सितंबर को होगा। इसके लिए 5 सितम्बर को राज्यसभा उप चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। दो सीटों पर नामांकन की अंतिम तारीख 12 सितंबर है। 13 को नामांकन पत्रों की जांच होगी। नाम वापसी की अंतिम तिथि 16 सितंबर को है। 23 सितम्बर को मतदान सुबह नौ से सांय चार बजे तक होगा। इसके बाद ही सांय पांच बजे से वोटों की गिनती होगी। प्रदेश में 23 सितंबर को ही हमीरपुर विधानसभा उप चुनाव के मतदान होना है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि भाजपा इन दोनों सीटों पर सुरेन्द्र सिंह नागर और संजय सेठ को ही अपना प्रत्याशी बनाएगी। क्योंकि भाजपा की रणनीति राज्यसभा में अपना बहुमत को और बढ़ाना है।

उल्लेखनीय है कि 245 सदस्यीय उच्च सदन में हाल ही में विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के इस्तीफे के कारण आठ सीटें रिक्त हैं। भाजपा को रिक्त सीटों के लिए जल्द होने वाले उपचुनाव में भी पांच सीट जीतने का भरोसा है।

इनमें उत्तर प्रदेश से सपा के तीन सदस्यों (नीरज शेखर, सुरेंद्र नागर और संजय सेठ) के इस्तीफे के बाद नीरज शेखर को भाजपा ने उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था जिसे वह जीतकर फिर से राज्यसभा सदस्य चुने जा चुके हैं।

गौरतलब है कि सुरेंद्र नागर अब तक तीन राजनीतिक दलों में रह चुके हैं। सबसे पहले वह राष्ट्रीय लोकदल में थे। उस दौरान उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की मुलायम सिंह सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय लोकदल के कोटे से एमएलसी बनाया था। उन्हें सपा ज्वाइन कराने और पहली बार एमएलसी बनाने में नरेश अग्रवाल ने अहम भूमिका अदा की थी। हालांकि बाद में सुरेन्द्र नागर ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2009 के लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्ध नगर सीट से प्रत्याशी बनाया। उन्होंने मायावती की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा को को हरा दिया और पहली बार गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से सांसद बने।

वहीं 2014 में सुरेंद्र नागर ने बसपा छोड़ सपा का दामन थाम लिया और पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सांसद बना दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में अटकलें लगाई जा रही थीं कि सुरेंद्र नागर को गौतमबुद्ध नगर सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इतना ही नहीं बसपा सुप्रीमो मायावती भी चाहती थीं कि उन्हें सपा-बसपा गठबंधन से प्रत्याशी बनाया गया तो वह भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा को हरा सकते हैं। हालांकि सुरेंद्र नागर ने ऐन मौके पर लोकसभा चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया।

गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुरेंद्र नागर का कई जिलों में प्रभाव माना जाता है। सहारनपुर, बागपत, बुलंदशहर,  मेरठ, हापुड, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के अलावा, आसपास के कई जिलों में गुर्जर समुदाय पर सुरेंद्र नागर का प्रभाव है।


दूध और घी के बड़े व्यवसायी सुरेंद्र नागर का पारस ब्रांड पूरे उत्तर प्रदेश में मशहूर है। उनके पिता वेदराम नागर को मिल्क किंंग कहा जाता था।

सुरेंद्र नागर को दोनों सदनों का सदस्य बनने का भी गौरव मिल चुका है। लोकसभा का परिसीमन होने के बाद वह 2009 में गौतमबुद्धनगर से बसपा के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुने गए थे। इस बार वह राज्यसभा के दुबारा सदस्य बनेंगे

सुरेंद्र नागर राज्यसभा पहुंचने वाले छठे गुर्जर नेता हैं। इससे पहले 1984 में कांग्रेस ने रामचंद्र बिकल को राज्यसभा भेजा था। हरियाणा से 1986 में कांग्रेस ने हरिसिंह नलवा व इसके बाद कन्हेयालाल पोशवाल को राज्यसभा भेजा था।

भाजपा ने बुलंदशहर के सोहजना गांव के डा. नौनिहाल सिंह व राजस्थान के शिवचरण बैसला को राज्यसभा सदस्य बनाया था। हालांकि, जम्मू कश्मीर से भी मोहम्मद असलम गुर्जर, अहमद कसाना व तालीब गुर्जर भी राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं।

सुरेंद्र नागर का गुर्जरों में बड़ा कदम है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुसलमानों के बाद सबसे ज्यादा गुर्जरों की संख्या है। भाजपा का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम जनाधार है। जाट रालोद का परंपरागत वोट माना जाता है।

भाजपा ने सुरेंद्र नागर को राज्यसभा भेजकर गुर्जरों पर दाव लगाने की रणनीति बनाई है। सुरेंद्र नागर की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जरों में अच्छी पकड़ है।

हालांकि एक सप्ताह पूर्व ही भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी अशोक कटारिया को प्रदेश का राज्य मंत्री ( स्वतंत्रत प्रभार ) बनाया है। कटारिया को जनता के बीच का नेता की बजाय संघ के वर्दहस्त वाला पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता कहा जाता है। जबकि सुरेंद्र नागर का जनता से सीधा कनेक्शन रहा है। जिसकी बदौलत वह गुर्जरों के सिरमौर नेता माने जाते है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD