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अंततः कानूनी शिकंजे में गुप्ता बंधु

वर्ष 1993 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से ताल्लुक रखने वाले तीन भाइयों ने दक्षिण अफ्रीका में अपना व्यापार शुरू किया। कुछ ही समय में गुप्ता ब्रदर्स के नाम से अब कुख्यात हो चले इन तीन भाइयों ने अपना विशाल आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर डाला। उनकी आर्थिक और राजनीतिक ताकत 2009 के बाद तब तेजी से बढ़ी जब अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के नेता जैकब जुमा राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। 2018 में इन गुप्ता ब्रदर्स संग मिलकर दक्षिण अफ्रीका को लूटने के आरोप चलते जुमा को पद त्यागना और गुप्ता ब्रदर्स को दक्षिण अफ्रीका छोड़ भागना पड़ा। जुमा अब जेल में हैं और अज्ञातवास पर छिपे गुप्ता बंधुओं के खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है

भारतीय मूल के तीन अफ्रीकी उद्योगपति भाइयों पर अब कानूनी शिकंजा कसने लगा है। अंतरराष्ट्रीय पुलिस ‘इंटरपोल’ ने दक्षिण अफ्रीका के अनुरोध पर अतुल गुप्ता और रजनीश उर्फ टोनी गुप्ता के खिलाफ ‘रेड नोटिस’ का अलर्ट गत् सप्ताह जारी कर दिया। ‘रेड नोटिस’ एक प्रकार की चेतावनी है जो इंटरपोल द्वारा विश्व भर की सरकारों को भेजी जाती हैं। इस चेतावनी में इंटरपोल के सदस्य देशों को बताया जाता है कि संबंधित लोगों की किसी गंभीर आपराधिक मामले में किसी सदस्य देश की पुलिस तलाश रही है। हालांकि यह ‘रेड कार्नर एरेस्ट वारंट’ नहीं है लेकिन इस नोटिस के जारी होने बाद संबंधित लोगों के प्रर्त्यापण की संभावना बढ़ जाती है। दक्षिण अफ्रीका के चर्चित तीन गुप्ता बंधुओं में से दो के खिलाफ जारी हुए इस इंटरपोल रेड नोटिस बाद अब दक्षिण अफ्रीकी सरकार इंटरपोल के सभी सदस्य देशों से आग्रह कर सकती है कि यदि इन दो वांछित भाइयों में से कोई उनके देश में है तो उसे दक्षिण अफ्रीका के हवाले कर दिया जाए।

गुप्ता बंधुओं का परिचय
दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप झेल रहे उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से ताल्लुक रखने वाले गुप्ता बंधुओं के चलते 2018 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। 1993 में भारत से दक्षिण अफ्रीका गए तीन गुप्ता भाइयों-अजय गुप्ता, राजेश गुप्ता और रजनीश गुप्ता की कंपनी ‘सहारा कम्प्यूटर्स’ ने कम समय में ही अपना विशाल आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर डाला था। कई हजार करोड़ की इस कंपनी के पास 2018 तक लगभग 10 हजार कर्मचारी थे। कम्प्यूटर्स के साथ-साथ साफ्टवेयर, एयरलाइन, मीडिया आदि क्षेत्रों में गुप्ता बंधुओं का साम्राज्य दक्षिण अफ्रीका में दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करता गया। 2016 में अतुल गुप्ता को दक्षिण अफ्रीका का सातवां सबसे धनवान व्यक्ति बताया गया था। तब उनकी निजी संपत्ति सात सौ मिलियन डॉलर आंकी गई थी।

जैकब जुमा संग नजदीकी ने बनाया ताकतवर
दक्षिण अफ्रीका के 2009 से 2018 तक राष्ट्रपति रहे जैकब जुमा के शासनकाल में गुप्ता बंधुओं का व्यापार तेजी से बढ़ा। उनकी इस तरक्की को लेकर दक्षिण अफ्रीका में लगातार सवाल उठते रहे थे। जुमा के विरोधियों का आरोप है कि राष्ट्रपति रहते जुमा ने गुप्ता बंधुओं संग मिलकर देश के खजाने को लूटने का काम किया। जुमा के बेटे और उनकी एक पत्नी की गुप्ता साम्राज्य में आर्थिक हिस्सेदारी होने के चलते इन आरोपों की पुष्टि होती है। आर्थिक ताकत बढ़ने के साथ-साथ गुप्ता बंधुओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और जैकब जुमा सरकार के निर्णयों को प्रभावित करने के उनके प्रयासों ने दक्षिण अफ्रीका की राजनीति को 2014 आते-आते प्रभावित करना शुरू कर डाला था। मार्च, 2016 में जुमा सरकार की एक मंत्री ने राष्ट्रपति जुमा और गुप्ता बंधुओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे डाला। देश की उपवित्त मंत्री एम ़ जोनास ने तब यह कह दक्षिण अफ्रीका में भारी राजनीतिक तूफान ला दिया कि गुप्ता बंधु उनसे कुछ
अनैतिक काम कराने के लिए दबाव बना रहे हैं और उन्हें राष्ट्रपति जुमा द्वारा प्रमोशन दिला कैबिनेट मंत्री बनाने का लालच दे रहे हैं। हालांकि गुप्ता बंधुओं ने तब इन आरोपों को सिरे से नकार दिया था लेकिन दक्षिण अफ्रीका में उनकी उल्टी गिनती इस घटना के बाद शुरू हो गई।

2013 की शाही शादी से निशाने पर आए
गुप्ता बंधुओं के प्रति आम दक्षिण अफ्रीका का नजरिया बेहद निगेटिव तब हो उठा था जब 2013 में इन भाइयों ने अपनी बहन की बेटी का शादी समारोह जोहांसबर्ग में आयोजित किया। इस शाही शादी में बड़ी तादात में भारत के कई गणमान्य लोग आमंत्रित थे। इन अतिथियों को ला रहे हवाई जहाज गुप्ता बंधुओं ने राष्ट्रपति जुमा संग अपनी निकटता चलते दक्षिण अफ्रीका के एक वायुसेना के हवाई अड्डे में उतार डाले। इस घटना ने पूरे दक्षिण अफ्रीका में भारी आक्रोश पैदा कर डाला था। राष्ट्रपति जुमा ने इस प्रकार की किसी इजाजत को दिए जाने से तुरंत इंकार कर मामले को शांत करने की कोशिश की लेकिन विवाद थमा नहीं। बाद में अतुल गुप्ता ने इस प्रसंग के लिए सार्वजनिक माफी मांगी थी।

जुमा का इस्तीफा और जांच कमीशन का गठन
गुप्ता परिवार पर 2016 में एक मंत्री द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप बाद राष्ट्रपति जैकब जुमा का विरोध खुद उनकी पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस भीतर तेजी से बढ़ने लगा। हालात इतनी तेजी से बिगड़े कि जुमा के खिलाफ देश व्यापी प्रदर्शनों में उन्हें ‘जुप्ता’ कह पुकारे जाने लगा। जुप्ता का अर्थ जुमा और गुप्ता बंधुओं के गठजोड़ से है। जुमा के राष्ट्रपति रहते 14 दिसंबर, 2018 के दिन जोहांसबर्ग पुलिस ने गुप्ता बंधुओं के घर छापेमारी कर डाली। यह छापेमारी आर्थिक अपराधों के आरोपों के चलते की गई थी। शाम होते-हाते राष्ट्रपति जुमा को त्याग पत्र देना पड़ा था। उनके इस्तीफे से बहुत पहले ही जनवरी, 2018 में उनके और गुप्ता बंधुओं के खिलाफ जांच कमीशन बैठ चुका था जिसकी रिपोर्ट आने बाद चले मुकदमें में 29 जून, 2021 को पूर्व राष्ट्रपति को कैद की सजा सुनाई गई। फिलहाल जुमा जेल में हैं।

देश छोड़ भागा गुप्ता परिवार
अपने खिलाफ लगातार हो रहे प्रदर्शनों और संभावित पुलिस कार्यवाही से बचने के लिए गुप्ता परिवर 2016 में ही दक्षिण अफ्रीका छोड़ दुबई में जा बसा। तब से लेकर आज तक गुप्ता बंधुओं का स्थाई ठिकाना दुबई बताया जाता है। हालांकि उनके सही ठिकाने को लेकर स्पष्ट जानकारी का अभाव है लेकिन दुबई में उनके होने की खबर बाद दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने गत् वर्ष दुबई संग प्रत्यर्पण संधि कर उन समाचारों की पुष्टि ही करी है जिनमें गुप्ता परिवार के दुबई में होने की बात कही जा रही है। अब इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी होने बाद दक्षिण अफ्रीकी सरकार का अगला कदम दुबई सरकार से गुप्ता बंधुओं को गिरफ्तार कर दक्षिण अफ्रीका के हवाले करने का हो सकता है।

उत्तराखण्ड से गहरा नाता
गुप्ता बंधुओं का उत्तराखण्ड से खासा गहरा रिश्ता रहा है। देहरादून में उनकी बहन का आलीशान मकान है। उनके बहनोई अनिल गुप्ता को 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राज्य योजना आयोग का सदस्य तक बनाया था। 2017 में राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तब अचानक चर्चाओं में आ गए थे जब उनकी नव गठित सरकार ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए दक्षिण अफ्रीका से फरार गुप्ता बंधुओं को राज्य में ‘जेड प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा दे डाली थी। त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार को इस निर्णय के चलते काफी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था।

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