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दिल्ली के अधिकतर इलाकों में भूजल की गुणवत्ता खराब

”जल ही जीवन है”, इस कथन की सत्यता सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन आज जीवन प्रदान करने वाला यही जल धीरे-धीरे प्रदूषित  होकर जहर बनता जा रहा है।  हाल ही में आई  सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की वार्षिक पुस्तिका 2021-22 के अनुसार मई 2021 में एकत्रित भूजल के नमूनों के रासायनिक विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली के अधिकतर हिस्सों के भूजल में नाइट्रेट की मात्रा 45 माइक्रोग्राम प्रति लीटर की स्वीकार्य सीमा के भीतर पाई गई। हालांकि, दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में नाइट्रेट सघनता अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी और पश्चिमी दिल्ली के कुछ हिस्सों को छोड़ कर, पूरी राजधानी के भूजल में फ्लोराइड का स्तर भी तय मानकों पर ही है। फ्लोराइड का स्तर 1.5 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है। दूसरी और यमुना नदी के मैदानी क्षेत्र के नजदीकी इलाकों में  इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी (ईसी)  काम है लेकिन बाकि सभी जगहों पर ईसी की मात्रा अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक यमुना तट के इलाकों में ईसी जहाँ 2 हजार 250 माइक्रोसिमेंस प्रति सेंटीमीटर है, वहीं बाकी दिल्ली में जैसे दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली में ईसी का स्तर 3000 माइक्रोसिमेंस प्रति सेंटीमीटर से अधिक पाया गया है।  इन इलाकों में संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर  जहाँ ईसी का स्तर 3 हजार 800 है , बवाना जल शोधन संयंत्र में 4 हजार 697 और पूसा जहाँ ईसी का स्तर 3 हजार 871 पाया गया है शामिल हैं। रिपोर्ट में इस बात की जानकारी भी  मिलती है कि मध्य, नई दिल्ली, दक्षिण पश्चिम जिलों के दक्षिण और पूर्वी हिस्से और छतरपुर बेसिन में रिज के आसपास सभी गहराई वाले इलाकों में भूजल ताज़ा है। सीजीडब्ल्यूबी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 11, नंगली, राजापुरा, भलस्वा झील और बुराड़ी में लोहे की उच्च सांद्रता दर्ज की गई है।  रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंझावला, जोंटी और निजामपुर जैसे इलाकों में यूरेनियम की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक रही।

 

स्वास्थ्य पर क्या पड़ेगा प्रभाव 

 

खराब गुणवत्ता वाले पानी को पीने से इसका मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिससे लोगों में बिमारियों की आशंका भी बढ़ेगी। रिपोर्ट में बताया गया है की कई इलाकों में भूजल में यूरेनियम की मात्रा बढ़ी है। जो व्यक्ति की किड़नियां खराब ख़राब कर सकता है साथ ही यह जानवरों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होती है। वहीं नाइट्रेट से बच्चों में बच्चों में ब्लू बेबी सिंड्रोम का खतरा बढ़ता भी बढ़ता है

क्या है सीजीडब्ल्यूबी

केंद्रीय भूजल बोर्ड, जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार का एक अधीनस्थ कार्यालय है, जिसे भूजल के प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी, मूल्यांकन, वृद्धि और विनियमन के लिए वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करता है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की स्थापना वर्ष 1970 में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के तहत खोजी नलकूप संगठन का नाम बदलकर की गई थी। वर्ष 1972 के में इसे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूजल विंग के साथ मिला दिया गया था।

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