राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर इन दिनों विपक्षी पार्टियाँ जहाँ सरकार को लगातार घेरने की कोशिश कर रही है वहीं सरकार भी उन्हें करारा जबाब देने में जुट गई है। इसके लिए सरकार की कोशिश रहेगी कि वह कश्मीर में धारा 370 हटाने की तर्ज पर कोई ऐसा कदम उठाए जिससे विपक्ष को चुप कराया जा सके। ऐसा लगता है, कि सरकार नवम्बर माह में होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधान बिल पास करने की तैयारियों में जुटी है। इस बिल के पास होने पर एनआरसी में नाम दर्ज कराने से चूक गए 19 लाख लोगों को नागरिकता हांसिल करने की सुविधाा होगी इनमे 12 लाख हिन्दू एवं आदिवासी मूल के लोग शामिल है। भाजपा अधयक्ष अमित शाह ने असम के पार्टी कार्यकर्ताओ से कहा कि वे ऐसे परिवारों की मदद करें जिनके नाम एनआरसी में शामिल नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह की संघ प्रमुख के साथ 19 सितंबर से होने वाली सांगठनिक बैठक में इस पर चर्चा होनी है। जिसमे बंगाल से भी बड़ी संख्या में संगठन से जुड़े लोग शामिल होंगे।
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सरकार संशोधान बिल के माधयम से फ्रंट फ़ुट पर आकर विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधाने की कोशिश में रहेगी। एनआरसी लागू होने के बाद इसमें 12 लाख हिन्दुओं और आदिवासियो के नाम छूट गए थे। इसी प्रकार गोरखाओं के मामले को लेकर बंगाल सरकार भी लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने अपने दो दिवसीय असम दौंरे में एनआरसी से बढ़ी मुश्किलों पर राज्य इकाई और सरकार से बात करके रणनीति बनाई है। इसको लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकती है। दो माह बाद ही संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल पास कराकर असम के लोगों को राहत दे दी जाएगी। इसके माध्यम से विदेशी घुसपैठियों को भी बाहर किया जायेगा। केंद्र सरकार इस प्रक्रिया को पूरे देश में लागू करने की ओर निरंतर बढ़ रही है।
प्रशिक्षु विवेक ध्यानी,