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उत्तराखण्ड में भाजपा को घर-घर पहुंचाने का श्रेय भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग भगत सिंह कोश्यारी को देते हैं। 1961 में अल्मोड़ा महाविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री बन अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले कोश्यारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जमीनी कार्यकर्ता रहे हैं। आपातकाल के दौरान 20 महीनों तक जेल में कैद रहे कोश्यारी ने संघ के उद्देश्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में शिक्षा को माध्यम बनाया। उन्होंने देश के सबसे दुर्गम जिलों में शुमार पिथौरागढ़ में सरस्वती शिशु मंदिर और विवेकानंद विद्या मंदिर जैसे शिक्षण संस्थानों की नींव रखी। इस दौरान वे पत्रकारिता में भी सक्रिय रहे। लंबे अर्से तक ‘पर्वत पीयूष’ पत्रिका का संपादन करने वाले भगत सिंह कोश्यारी ने बतौर संघ प्रचारक पर्वतीय क्षेत्र के हर घर में सेंधमारी कर अपना जनाधार तैयार तो किया ही, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे गांवों तक में संघ की शाखा संचालित कर डाली। ‘भगत दा’ के नाम से पुकारे जाने वाले कोश्यारी के लिए कहा जाता है कि ‘सोते समय भी भगत दा का दिमाग राजनीतिक गणित बिठाने का काम करता रहता है।’ 2019 में महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाए जाने के बाद कोश्यारी के समर्थकों और उनसे राजनीति का ककहरा सीखने वाले उत्तराखण्ड भाजपा के कई बड़े चेहरों तक ने उन्हेें ‘टायर्ड और रिटायर्ड’ कहते देर नहीं लगाई थी। कोश्यारी ने लेकिन अपने आलोचकों और ऐसे समर्थकों को मुंबई राजभवन में बैठने के साथ ही निराश करने का काम कर दिखाया। हालांकि महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनवाने में सीधे तौर पर सक्रिय भूमिका निभाने के बाद भी वे सफल नहीं हुए लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार उनकी अतिसक्रियता के चलते भारी सांसत में रहती है। सीएम ठाकरे संग उनके रिश्ते इतने तनावपूर्ण हैं कि गवर्नर प्रोटोकॉल तक की धज्जियां उड़ाने से राज्य सरकार परहेज नहीं करती है। कुछ अर्सा पहले सरकार के निर्देश पर उन्हें सरकारी विमान उपलब्ध नहीं कराया गया। उन्हें सरकारी विमान से उतारे जाने की खबर उद्धव सरकार की भारी किरकिरी का कारण बनी। ठाकरे सरकार की नाराजगी का कारण गवर्नर कोश्यारी द्वारा कई माह पूर्व भेजी गई 12 विधान परिषद् सदस्यों की सूची को स्वीकृत न करना है। यह मामला अब अदालत में है। गवर्नर कोश्यारी कोरोना मामलों पर समीक्षा बैठक बुलाने को लेकर भी कुछ अर्सा पहले राज्य सरकार संग टकराव की स्थिति पैदा कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे दिल्ली और नागपुर तक अपने व्यक्तिगत संपर्क साध ‘गवर्नर इन एक्शन’ का मुद्दा उठा चुके हैं लेकिन कोश्यारी को साध नहीं पा रहे हैं। अब गवर्नर कोश्यारी बाढ़ से जूझ रहे तीन जिलों नांदेड़, हिंगोली और परमनी पर अपने प्रस्तावित दौरों को लेकर राज्य सरकार संग नया मोर्चा खोल बैठे हैं। वे इन जिलों के कलेक्टरों संग समीक्षा बैठक करने वाले हैं जिससे उद्धव ठाकरे खासे नाराज हैं।

कोश्यारी यदि बतौर गवर्नर महाराष्ट्र में फुल एक्शन मोड पर है तो बतौर राजनेता वे उत्तराखण्ड पर भी अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। कहा जाता है कि गृहमंत्री अमित शाह के करीबियों में शुमार कोश्यारी की सलाह पर ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तराखण्ड के सीएम पद से हटा तीरथ सिंह रावत को नया सीएम बनाया गया था। संवैधानिक और राजनीतिक कारणों के कॉकटेल चलते तीरथ रावत को हटा पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी के पीछे भी पार्टी सूत्र कोश्यारी की रणनीति बता रहे हैं। जानकारों का दावा है कि हरीश रावत की दिनोंदिन बढ़ रही लोकप्रियता और त्रिवेंद्र रावत सरकार के निराशाजनक कार्यकाल से जनता में पनपी नाराजगी की काट का मार्ग बतौर धामी की ताजपोशी किए जाने का सुझाव मुंबई राजभवन से ही निकला है। अब खबर है कि राजभवन में बैठे कोश्यारी इन दिनों अपने करीबी शिष्य और सीएम रहते अपने ओएसडी रहे पुष्कर सिंह धामी को बतौर सीएम स्थापित करने में जुटे हैं। कोश्यारी की सक्रियता को देखते हुए उनके लिए प्रचलित कथन सही नजर आता है कि ‘कोश्यारी का दिमाग सोते समय भी सक्रिय राजनीति करता रहता

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