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सरकार की कोशिशें भी खत्म नहीं कर पा रहीं प्रदूषण

वायु प्रदूषण

प्रदूषण पूरी दुनिया के सामने सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। उद्योगों, वाहनों और अन्य मानव निर्मित कारकों के कारण पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। यदि इन गैसों का उत्सर्जन इसी तरह जारी रहा तो आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी रहने योग्य नहीं रहेगी। इस बीच दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) औद्योगिक इकाइयों को पीएनजी / क्लीनर फ्यूल्स पर शिफ्ट करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

CAQM द्वारा कोयले के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। अब CAQM ने कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश सरकारों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि CIL की विभिन्न कोयला कंपनियों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कार्यरत CIL के विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं/स्टॉकिस्टों/एजेंटों को कोयले की आपूर्ति/आवंटन नहीं किया जाए।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के चार वर्ष पूरे होने भी प्रदूषण लगातार बढ़ क्यों रहा है। जबकि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत प्रदूषण की स्थिति ठीक करने के लिए नगर निगम को दो चरणों में 54.25 करोड़ रुपये का बजट दिया गया गया था। हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश के विभिन्न शहरों में वायु में प्रदूषित कणों की मात्रा में वृद्धि हुई है। दिल्ली शहर में इन कणों की मात्रा सुरक्षित स्तर से दोगुनी है। नतीजतन, दिल्ली 2022 में भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। हालांकि वायु प्रदूषण के उच्चतम स्तर वाले शहरों में प्रदूषण के स्तर (पीएम 2.5, पीएम 10) में मामूली सुधार देखा गया है।

 कार्यक्रम से कितना फर्क पड़ा?

केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के साथ-साथ विभिन्न निजी संगठनों की मदद से 131 शहरों में हवा की गुणवत्ता की समय-समय पर निगरानी की गई। लेकिन बावजूद इसके 2022 में दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर बन गया। हालांकि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में 2019 की तुलना में सुधार हुआ है, लेकिन फिर भी यह यह खतरनाक स्तर से ऊपर बनी हुई है। पटना, मुजफ्फराबाद और गया बिहार के तीन शहर हैं जो शीर्ष 10 में बने हुए हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (NCAP) के तहत 43 शहरों ने समय-समय पर वायु गुणवत्ता डेटा के अपडेट जारी किए हैं। इनमें से 14 शहरों में पिछले साल के मुकाबले वायु प्रदूषण में 10 फीसदी की कमी आई है। जबकि अन्य 46 शहरों में, कमोबेश, वायु गुणवत्ता की जानकारी बनाए रखने और उपायों को लागू करने के प्रयास किए गए। इसमें 21 शहरों की हवा की गुणवत्ता में 5 फीसदी का सुधार हुआ। यह पाया गया कि बाकी शहरों में हवा की गुणवत्ता में कोई खास अंतर नहीं था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हर साल 300 के हिसाब से 2024 तक कुल 1,500 मॉनिटरिंग स्टेशन बनाए गए हैं, ताकि शहरों में हवा की गुणवत्ता को समय-समय पर मापा जा सके। लेकिन अभी तक देश में सिर्फ 180 स्टेशन ही काम कर रहे हैं।

इसके चलते देश की वायु गुणवत्ता में सुधार करना, देश के विभिन्न शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और कदम उठाना और प्रयास करना आवश्यक माना जा रहा है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 2019 में शुरू किया गया एक सरकारी कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम एक प्रदूषण नियंत्रण पहल है जिसका प्रमुख उद्देश्य 2024 तक सूक्ष्म कण पदार्थ प्रदूषण की मात्रा को कम से कम 20 प्रतिशत तक कम करना है। कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क का विस्तार करना, वायु प्रदूषण प्रबंधन के लिए क्षमता का निर्माण करना, वायु प्रदूषण के खतरों के बारे में जन जागरूकता पैदा करना, वायु प्रदूषण को रोकना, प्रबंधित करना और नियंत्रित करना है। देश के 102 शहरों में प्रदूषण कम करने के उपाय किए जा रहे हैं।

स्वच्छ हवा वायु कार्यक्रम में कौन- कौन शामिल है?

कार्यक्रम को पर्यावरण मंत्रालय के स्तर पर एक शीर्ष समिति द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव स्तर की समितियां योजना के क्रियान्वयन की निगरानी कर रही हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित शैक्षिक संस्थान और गैर सरकारी संगठन , नीति आयोग आदि की भागीदारी ली जा रही है।

 

समय-समय पर देखा जाता है कि राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पूरे देश में सबसे अधिक होता है। पूरे साल 2022 में भी दिल्ली शहर सबसे प्रदूषित शहर रहा। दिल्ली शहर में प्रति वर्ष औसतन 99.7 महीन कण प्रति घन मीटर प्रदूषण है। यह केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के मानकों से दोगुने से भी ज्यादा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा देश में पार्टिकुलेट मैटर की वर्तमान वार्षिक औसत और सुरक्षित सीमा 40 पीपीएम है। पिछले तीन वर्षों में दिल्ली का वायु स्तर पीएम 2.4, एक सूक्ष्म कण पदार्थ, 7 प्रतिशत बढ़ गया है।

देश के दस सबसे प्रदूषित शहर कौन से हैं?

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत विभिन्न शहरों में 2026 तक हवा में पार्टिकुलेट मैटर के स्तर को 40 प्रतिशत तक कम करने का नया लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कार्यक्रम के पिछले चार वर्षों में शहरों को इन उपायों के लिए 6,897 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई है। हालांकि, वर्तमान में देश के शीर्ष दस सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली सहित गंगा के मैदानी इलाकों में स्थित हैं। पीएम 2.5 के स्तर के आधार पर बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर और गया शहर सबसे प्रदूषित शहरों में से हैं। इस हिसाब से दिल्ली के बाद फरीदाबाद, गाजियाबाद, पटना, मुजफ्फरपुर, नोएडा, मेरठ, गोबिंदगढ़ और जोधपुर 2022 में शीर्ष दस सबसे प्रदूषित शहर बन गए।

संवेदनशील रहा साल

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