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सरकार की अग्निपथ योजना बनी अग्नि परीक्षा

केंद्र सरकार द्वारा नौकरियों की घोषणा के बाद जहां देश के युवाओं को राहत मिलने की संभावना थी वहीं अग्निपथ योजना के खुलासे के चलते युवाओं में आक्रोश बढ़ गया है। दरअसल, युवा काफी समय से नौकरी न मिलने से परेशान थे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। अब जब सरकार ने इस मामले में 10 लाख नौकरियां देने का ऐलान कर युवाओं को आश्वासन दिया तो जरूर लेकिन जिस योजना के तहत उन्हें यह आश्वासन दिया गया उसके कारण देशभर के युवाओं का आक्रोश से पार पाना सरकार के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।

 

क्या है अग्निपथ योजना

देश की तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए लाई गई केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ योजना’ विवादों में घिर गई है। इस योजना के खिलाफ युवा छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। बिहार में कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हो रही हैं। ‘अग्निपथ योजना’ के तहत सिर्फ़ चार साल आर्मी में सेवा का मौका दिया जाएगा। भर्ती किए गए जवानों में से सिर्फ 25 प्रतिशत को सेना में रखा जाएगा।
अग्निपथ योजना पर बढ़ते बवाल के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, इस योजना से बड़ी संख्या में युवा लाभान्वित होंगे देशसेवा व अपने उज्ज्वल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने आगे कहा, पिछले दो साल से कोरोना महामारी के कारण सेना में भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हुई थी, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अग्निपथ योजना’ में उन युवाओं की चिंता करते हुए पहले वर्ष उम्र सीमा में दो वर्ष की रियायत देकर उसे 21 साल से 23 साल करने का संवेदनशील निर्णय लिया है।

क्यों हो रहे प्रदर्शन

युवाओं द्वारा बिहार के जहानाबाद और छपरा समेत कई इलाकों में प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है, कि ‘सेना में जाने के लिए हम जीतोड़ मेहनत करते हैं। ट्रेनिंग और छुट्टियों को मिला दें तो कोई सर्विस सिर्फ़ चार साल की कैसे हो सकती है? सिर्फ़ तीन साल की ट्रेनिंग लेकर हम देश की रक्षा कैसे करेंगे? सरकार को यह योजना वापस लेनी पड़ेगी।

प्रदर्शन कर रहे युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है कि सिर्फ़ चार साल के लिए भर्ती के बाद 75 परसेंट युवाओं को बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा। चार साल नौकरी करने के बाद हम कहां जाएंगे? चार साल की सर्विस के बाद तो हम बेघर हो जाएंगे। यही वजह है कि हमने सड़के जाम कर दी हैं। जिससे सरकार को पता चलेगा कि अब देश का युवा जाग गया है । उनका कहना है कि सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी कम से कम 10 से 12 साल की सर्विस होती है और आंतरिक भर्तियों में उन सैनिकों को मौका भी मिल जाता है।

सरकार की इस योजना को लेकर अब विपक्षी दल भी इस योजना को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। अग्निपथ योजना पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर सरकार की आलोचना की है । उन्होंने लिखा, “अग्निपथ – नौजवानों ने नकारा, कृषि कानून – किसानों ने नकारा, नोटबंदी – अर्थशास्त्रियों ने नकारा, GST – व्यापारियों ने नकारा।” देश की जनता क्या चाहती है, ये बात प्रधानमंत्री नहीं समझते। क्योंकि,उन्हें अपने ‘मित्रों’ की आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता है।

क्रिया की प्रतिक्रिया

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस योजना का विरोध करते हुए कहा, ‘अगर देश के सबसे बड़े नियोक्ताओं ‘भारतीय रेलवे और भारतीय सेना’ में भी नौकरियाँ ठेके एवं सिविल सेवा में लेटरल एंट्री के नाम पर दी जाने लगेंगे तो शिक्षित युवा क्या करेंगे? क्या युवा पढ़ाई और चार सालों की संविदा नौकरी, भविष्य में बीजेपी सरकार के पूंजीपति मित्रों के व्यावसायिक ठिकानों की रखवाली के लिए करेंगे? हम बेरोजगार युवाओं के संघर्ष में साथ है। बेरोजगारी हटाना हमारा मुख्य उद्देश्य है। जब युवाओं के हाथ में नियमित नौकरी होगी तभी देश खुशहाल होगा।

योजना का विरोध कर रहे तत्वीर सिंह कहते हैं, “दो साल पहले मेडिकल और फिजिकल क्वालीफाई कर चुके हैं। एग्जाम को पेंडिंग में डाल रखा है। दो-तीन बार एडमिट कार्ड जारी हो चुका है, उसके बाद अब एग्जाम रद्द करके चार साल की बहाली ला रहे हैं। पेंशन वगैरह सब बंद कर देंगे जबकि एक नेता तीन पेंशन लेता है। इन नौकरियों के लिए इतने लड़के तैयारी कर रहे हैं लेकिन कोई वैकेंसी नहीं आ रही है। चारों तरफ बहाली पर प्रतिबंध लगा है। बेरोजगार आदमी सड़क पर नहीं जाएगा तो कहां जाएगा ?

भारतीय सेना में छोटी अवधि की नियुक्तियों को लेकर ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा के बाद सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे असम के कई युवाओं ने निराशा व्यक्त की है। पिछले दो साल से मरियानी में रहकर सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे 20 साल के देबोजित बोरा ने एक रिपोर्टर से बातचीत में कहा, “सेना में भर्ती होने के लिए पिछले दो साल से बहुत मेहनत कर रहा हूं। लेकिन अचानक न्यूज़ में ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा देखकर थोड़ी निराशा हुई है।”

असल में मेरे पिता सीआरपीएफ में थे लेकिन उनके निधन के बाद से घर में जो माहौल बना उसके बाद मैंने ठान लिया कि मैं भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करूंगा। मेरे पास अब केवल एक साल का समय बचा है और मैं हर हाल में सेना में भर्ती होने की कोशिश करूंगा। लेकिन ‘अग्निपथ’ योजना में केवल चार साल ही काम करने का मौका मिलेगा। इस बारे में सोचकर चिंता हो रही है। अगर मेरा चयन हो जाता है तो चार साल में मुझे नौकरी से रिटायर्ड कर दिया जाएगा, उसके बाद मैं क्या करूंगा।

मेरे साथ कई लड़के बड़ी उम्मीद के साथ ग्राउंड पर मेहनत करने आते हैं लेकिन कल से हम सभी लोग चार साल की नौकरी के बारे में सोचकर परेशान हैं. पिछले दो साल से सेना में कोई भर्ती नहीं निकली थी और अब जो भर्ती आई है उसमें केवल चार साल की नौकरी की बात कही गई है। हम सब चाहते कि सरकार इस बारे में फिर से विचार करें। “सेना में जाने की तैयारी करने वाले मरियानी के मायने हुसैन भी ‘अग्निपथ’ योजना के तहत चार साल की सेना की नौकरी के बारे में सुनकर परेशान है। “मैंने साल 2019 में सेना की जो भर्ती निकली थी उसमें कोशिश की थी लेकिन मेरा चयन नहीं हुआ. लेकिन मैंने हार नहीं मानी और मैं सेना में जाने के लिए लगातार ट्रेनिंग कर रहा हूं। लेकिन ‘अग्निपथ’ योजना के बारे में सुनकर अच्छा नहीं लगा। एक तो सरकार ने दो साल के बाद सेना में भर्ती निकाली है और अब इस योजना के तहत केवल चार साल की सर्विस होगी।”
“हम अपना पूरा जीवन देश की सेवा में लगाना चाहते हैं। परंतु इस तरह की योजना से लग रहा है कि हमें चार साल बाद निकाल दिया जाएगा। केवल मुझे ही नहीं इस बात से सेना में जाने की तैयारी कर रहे काफी युवाओं को निराशा हुई है. हम कल से केवल इसी विषय पर बात कर रहे हैं।”हमारी सरकार को हमें पूरा मौका देना चाहिए ताकि हम देश के लिए कुछ कर सकें। आप सोचिए 25 साल की उम्र में अगर रिटायर कर दिया जाएगा तो उस युवा के मन में क्या गुज़रेगी जो अपने स्कूली दिनों से भारतीय सेना में जाने का सपना देख रहा है।

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