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बिना सीएए मिलेगी नागरिकता, सरकार ने  जारी की अधिसूचना

देश में जब से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पारित हुआ है  तब से लगातार  इस कानून के खिलाफ और समर्थन में विरोध-प्रदर्शन होता रहा है ।अब काफी बबाल के बाद  केंद्र सरकार ने शरणार्थियों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र ने देश के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। इसके लिए इन लोगों से आवेदन मंगाए गए हैं।

बिना CAA मिलेगी भारत की नागरिकता

सूत्रों के मुताबिक अभी नए CAA के कानून के तहत नियम तैयार नहीं है । CAA कानून के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार ने अफगानिस्ता, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने प्रावधान किया गया था, लेकिन इसके नियम अभी तक तैयार नहीं है । इसलिए नागरिकता के लिए पहले से चले आ रहे नियमों के तहत ये नोटिफिकेशन जारी किया गया है  । MHA ने नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत आदेश के तत्काल कार्यान्वयन के लिए ये अधिसूचना जारी की है ।

ये शरणार्थी गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे हैं। इनका धर्म हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध इत्यादि है। इनसे कल 28 मई को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए गए हैं।  हालांकि, सरकार ने 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों को अभी तक तैयार नहीं किया है।

इससे पहले वर्ष 2019 में जब सीएए लागू हुआ तो देश के अलग –  अलग  हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे हुए थे।

किन शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता?
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दमन के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों गैर-मुस्लमों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे। गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने कानून की धारा पांच के तहत यह कदम उठाया है। इसके अंतर्गत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है।


क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए ?
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून 2019 में बनाया था। देशभर में इसे लेकर प्रदर्शन हुए थे। इस कानून में तीन पड़ोसी देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। ये देश हैं  बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान। सरकार का दावा है कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोग इन देशों में अल्पसंख्यक हैं। इन देशों में इनका उत्पीड़न होता है। लिहाजा, भारत में पांच साल पूरा कर चुके इन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल की शर्त थी।

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