केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों की जांच कराने का फैसला लिया है। मंत्रालय की तरफ से राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट से जुड़ी जांच कराने के लिए एक अंतरमंत्रालय समिति बनाया गया है। इस समिति के अध्यक्ष प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक होंगे।
बुधवार को गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमेटी का गठन किया गया है, जो कि राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच करेगी। खबरों के मुताबिक, यह समिति मनी लॉड्रिंग एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच करेगी।
MHA has set up inter-ministerial committee to coordinate investigations into violation of laws by by Rajiv Gandhi Foundation: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) July 8, 2020
बता दें कि राजीव गांधी फाउंडेशन की शुरूआत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन और सपनों को पूरा करने के लिए 21 जून 1991 को हुई थी। राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट अनुसार कि 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक, महिला एवं बाल विकास, अपंगता सहयोग, शारीरिक रूप से निशक्तों की सहायता, पंजायती राज, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आदि क्षेत्रों में काम किया।
फाउंडेशन के मुताबिक, साल 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा क्षेत्र पर फोकस करने का फैसला किया। संघर्ष से प्रभावित बच्चों को शैक्षणिक मदद, शारीरिक रूप से निशक्त युवाओं की गतिशीलता बढ़ाने और मेधावी भारतीय बच्चों को कैंब्रिज में पढ़ने हेतु वित्तीय सहायता आदि जैसे कार्यक्रम फाउंडेशन की ओर से चलाए जाते हैं।
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी राजीव गांधी फाउंडेशन की प्रमुख हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ. शेखर राहा, प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन, डॉक्टर अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा भी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं।
दरअसल भाजपा का आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। भाजपा का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। सरकार ने बदले में कई ठेके दिए। उनका आरोप है कि यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया।