कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसान संगठनों के नेता तीनों कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं। इस बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार ने किसानों को लिखित प्रस्ताव दे दिया है। माना जा रहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच बातचीत का रास्ता निकला है। सरकार की ओर से कृषि कानूनों में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं, जिन पर किसान अड़े हुए थे। सरकार की ओर से किसानों को एक लिखित प्रस्ताव भेज दिया गया है, जिसमें अपनी ओर से कुछ संशोधन सुझाए गए हैं। केंद्र की ओर से इस प्रस्ताव में APMC एक्ट और MSP पर सरकारों को लिखित भरोसा दिया गया है।
किसानों को दिए जाने वाले लिखित प्रस्ताव में सरकार मुख्य रुप से ये पांच मुद्दों को हो सकते हैं। इन मसलों पर सरकार और किसानों के बीच हुई बैठकों में चर्चा हुई है और सरकार की ओर से कुछ ढिलाई के संकेत दिए गए हैं।
1. APMC एक्ट (मंडी सिस्टम) को मजबूत करना।
2. ट्रेडर्स के साथ व्यापार को सिस्टमैटिक तरीके से लागू करना।
3. किसी तरह की दिक्कत होने पर स्थानीय कोर्ट जाने का विकल्प।
4. MSP जारी रहने का प्रस्ताव।
5. पराली जलाने के खिलाफ सख्त हुए कानून में कुछ संशोधन।
प्रस्ताव पर किसान नेता करेंगे चर्चा
सरकार की ओर से प्रस्ताव मिलने से पहले किसान नेता हनन मोल्ला ने कहा कि अगर सरकार कुछ संशोधन दे रही है तो हमारी स्थिति साफ है, अगर कानून वापस होंगे तभी हम उसे मानेंगे। अगर आज के प्रस्ताव में कुछ पॉजिटिव होता है, तो सरकार के साथ आगे बैठक हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने लिखित में प्रस्ताव देने को कहा है, इसलिए हम उसपर अपने साथियों से बात करेंगे।
दरअसल कृषि सुधार कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों से छठे दौर की वार्ता से ठीक एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले 13 दिनों से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास के तहत कल आठ दिसंबर को किसान नेताओं के एक समूह से मुलाकात की। हालांकि बैठक के बाद भी गतिरोध टूटने के संकेत नही मिले । वहीं आज होने वाली बातचीत भी टल गई ।
देर रात तक चली बैठक के बाद किसान नेता हनन मुला ने बाहर निकलकर कहा, सरकार बिल वापस लेने को तैयार नहीं है। सरकार एपीएमसी एक्ट सहित अन्य मुद्दों पर किसानों को एक लिखित प्रस्ताव देगी। गृहमंत्री ने कहा, किसान इस प्रस्ताव पर विचार करें, फिर बैठक होगी।
13 किसान नेताओं को शाह के साथ इस बैठक के लिए बुलाया गया था। किसान नेताओं में आठ पंजाब से थे जबकि पांच देश भर के अन्य किसान संगठनों से संबंधित थे। सूत्रों के मुताबिक, इन नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह और भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत शामिल थे। कुछ किसान नेताओं ने बताया कि यह बैठक पहले शाह के आवास पर होने वाली थी लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया। बैठक पूसा क्षेत्र में हुई। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।