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नई वैक्सीन नीति पर घिरी सरकार, अब वैकफुट पर, आज कर सकती है बदलाव

कोरोना संकट पर PM मोदी आज 8 बजे रात को फिर करेंगे राष्ट्र को संबोधित

कोरोना महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन ही पूरी दुनिया में एकमात्र विकल्प बचा हुआ है, जिसके जरिये कोरोना महामारी को नकेल डाली जा सकती है। लेकिन भारत में वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया को लेकर बवाल हो रखा है। बवाल इनता बढ़ गया कि स्वंय कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा। इसकी मुख्य वजह वैक्सीन का दाम, खऱीद और वितरण का उलट पलट होना।

मामला इतना ज्यादा गर्म हो गया कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की बीच तीखी तकरारें हो रही है। इतना ही नहीं राज्य सरकारें भी वैक्सीन प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार पर हमला कर रहे है।

भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया 16 जनवरी से शुरु हुई थी। उस समय वैक्सीन की खरीद, दाम और वितरण का सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास थी। पंरतु जब देश में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी, तो पूरे देश में हाहाकार मच गया, अस्पतालों में बेड, आक्सीजन सिलेंडर, आक्सीमीटर और वैक्सीन की कमी ने पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया।

जब कोरोना हालात बेकाबू होने लगे तो केंद्र सरकार ने 19 अप्रैल को नई वैक्सीन नीति को लागू करने का ऐलान किया और उसे 1 मई से पूरे देश में लागू कर दिया।

क्या थी पुरानी नीति

केंद्र सरकार की पुरानी वैक्सीन नीति के तहत फ्रंटलाइन वर्कर, हेल्थ केयर वर्कर्स और 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों का टीकाकरण किया गया था। जिसके तहत केंद्र सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (कोविडशील्ड) और भारत बायोटेक (कोवैक्सीन) वैक्सीन खरीद कर राज्यों में बांटी थी। राज्यों ने इस वैक्सीन को सरकारी वैक्सीनेशन केंद्रों और निजी अस्पतालों में बांट दी। सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन फ्री में लग रही थी, तो वहीं निजी अस्पतालों में यह वैक्सीन 250 रुपए में लगाई जा रही थी। लेकिन 1 मई से यह व्यवस्था बदल गई।

नई वैक्सीन नीति

केंद्र सरकार ने नई वैक्सीन नीति के तहत वैक्सीन को दो हिस्सों में बांट दिया। नई वैक्सीन नीति के तहत कुल सप्लाई को 50 प्रतिशत केंद्र के पास रहेगा और 50 प्रतिशत राज्यों मे्ं बांटा जाएगा।
वैक्सीन निर्माता कंपनी केंद्र सरकार को वैक्सीन 150 रुपए के हिसाब से देगी। वहीं राज्यों सरकारों को कोवैक्सीन 400 और कोविडशील्ड 300 रुपए में दी जाएगी।

केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

लेकिन केंद्र की नई नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा है कि 18 से 44 साल के लोगों पर लागू मौजूदा वैक्सीन नीति तर्कहीन और मनमानी है। बजट में वित्त मंत्री ने कोरोना के लिए 35 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की थी। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आम बजट में कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ की घोषणा की गई थी, इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है।

केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि वैक्सीन को ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए प्रशासित किया जा रहा है। लेकिन कोर्ट ने इसे लेकर सरकार पर सवाल भी उठाए. कोर्ट ने कहा कि भारत में ज्यादातर आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है, ज्यादातर लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, ऐसे में वे अपनी वैक्सीन ऑनलाइन कैसे बुक करेंगे और फिर वे वैक्सीन कैसे लगवा पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 30 जून तक वैक्सीनेशन पर सफाई मांगी है।

हालांकि केंद्र की तरफ से कहा गया है कि राज्य सरकारें भी कोरोना वैक्सीन को कहीं से भी खरीद सकती है। इसके बाद कई राज्यों ने इसके लिए ग्लोबल टेंडर भी जारी किए है।

वैक्सीन प्रक्रिया में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब देश के नागरिक के अधिकार संकट में हो, तब कोर्ट इस तरह मूकदर्शक नहीं बन सकता। कोर्ट ने नई वैक्सीन नीति का पूरा ब्यौरा देने की बात भी कही है। केंद्र सरकार को अब कोर्ट में बताना होगा कि पहली लहर के दौरान कितनी वैक्सीन डोज खरीदी गई, उन्हें कैसे वितरण किया गया और पूरे देश में वैक्सीनेशन लगाने का सरकार के पास क्या प्लान है।

केंद्र सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय वैक्सीन रणनीति का उद्देश्य वैक्सीन के मूल्य निर्धारण को उदार बनाना और टीकाकरण के कवरेज का विस्तार करना है। यह नीति एक ओर वैक्सीन निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी और दूसरी ओर, यह देश में आने के लिए नए वैक्सीन निर्माताओं को भी आकर्षित करेगी। नई नीति के तहत भारत सरकार अपने हिस्से से राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को उनके मानदंड के आधार पर टीके प्रदान करेगी।

वैक्सीन पर अब पूरी तरह से कालाबाजारी हावी हो चुकी है। जो टीके निजी अस्पतालों में पहले 250 रुपए में लग रहे थे, वहीं टीके अब निजी अस्पतालों में 700 से 1200 की रेंज में लग रहे है। बड़े अस्पताल टीका कंपनियों से सीधा टीका खरीद रहे है। कोवैक्सीन और कोविडशील्ड के बाद अब देश में माडर्ना और फाइजर के टीके में भी रहे है। इन कंपनियों की शर्तें है कि वह खुद अपना मूल्य निर्धारित करेगी।

विपक्ष का हमला

नई वैक्सीन नीति पर कोर्ट ही नहीं बल्कि विपक्ष भी मोदी सरकार पर हमलावार हो चुका है। भारत में फिलहाल दो वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोरोना की पहली लहर में केंद्र ने वैक्सीन खरीद कर राज्यों में बांटी, लेकिन जब 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के युवाओं का टीकाकरण शुरु हुआ तो राज्यों को खुद वैक्सीन लेने के लिए छूट दी गई। जिसके बाद कई राज्यों ने इसके लिए ग्लोबल टेंडर भी जारी किया है। इस पर वैक्सीन निर्मात कंपनियों ने कहा कि वो सिर्फ केंद्र को वैक्सीन देंगे। राज्यों में वैक्सीन की बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्र सरकार अब बैकफुट पर आ गई है। केंद्र सरकार अब वैक्सीन खरीद पर दोबारा विचार कर रही है।

एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया यदि सभी राज्य चाहते हैं कि केंद्र सरकार ही वैक्सीन की खरीद करे, तो हम इस पर चर्चा करेंगे। हम इस तरह के अनुरोध पर विचार करने को तैयार हैं।” शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा, केंद्र सरकार इन अनुरोधों को सुन रही है, और इस पर विचार करेगी और उचित निर्णय लेगी।” कयास लगाए जा रहे है कि आज केंद्र सरकार नई वैक्सीन नीति में बदलाव कर सकती है।

दिल्ली,तमिलनाडू, पंजाब, पश्चिम बंगाल ओडिशा समेत अन्य कई राज्यों ने केंद्र सरकार पर वैक्सीन न मिलने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं दिल्ली, महाराष्ट्र और राजस्थान में तो 18 प्लस टीकाकरण रोकने की नौबत आ गई है। राज्यों के अलावा राजनीतिक पार्टियां भी केंद्र पर हमवलावार हो रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने भी वैक्सीन को लेकर मोदी सरकार पर कई बार तंज कसे है।

राहुल गांधी की अपील

राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह पूरे देश में कोरोना टीकाकरण मुफ्त करे। इतना ही नहीं उन्होंने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि सारी वैक्सीन केंद्र इकट्ठा करें और फिर राज्यों में वितरण करें। ताकि राज्यों को अलग-अलग वैक्सीन न लेनी पड़े। राहुल गांधी के अलावा ममता बनर्जी, एमके स्टालिन और अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने केंद्र से यही मांग की है। अब तक, भारत ने 22.86 करोड़ खुराकें दी हैं, जिसमें 18.38 करोड़ लोगों को एक खुराक मिली है, और 4.48 करोड़ लोगों को दोनों खुराकें मिली हैं।

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