देश और दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ऐसे में सभी देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अपनी जनता को जानकारी देकर कोरोना से बचाव के उपाय बता रहे हैं। शायद ही ऐसा कोई दिन बचता होगा जब किसी देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति मीडिया के जरिए अपनी जनता से रूबरू नहीं होता होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो आए दिन मीडिया के जरिए अपने देश की जनता को कोरोना महामारी के संकट से उबरने और इस समस्या से जूझने तथा बीमारी का इलाज करने की बातें साझा करते रहते हैं। इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समय-समय पर कोरोना अपडेट भी करते रहते हैं । वह मीडिया के सामने आकर खुद बताते हैं कि हमारे देश में अब कितने कोरोना संक्रमित है तथा कितनों का इलाज चल रहा है। यही नहीं बल्कि वह यह भी बताते हैं कि कितने कोरोना पीड़ित अब तक स्वर्ग सिधार गए हैं।
अपने ही देश की बात करें तो यहां पिछले दिनों से ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। एक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री कोरोना अपडेट देता हुआ नहीं दिख रहा है। हालांकि, इसकी जिम्मेदारी पहले केंद्र सरकार बखूबी निभा रही थी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल कोरोना से संबंधित बातें जनता से साझा करते रहते थे। लेकिन अब पिछले दिनों से वह भी नदारद हो रहे हैं । जनता जानना चाहती है । उनके मन में बहुत से सवाल है। जिनके जवाब सरकार के पास है। लेकिन सरकार जवाब देने की बजाय चुप्पी साधे बैठी है । इससे जनता में भय का माहौल है। शायद यही वजह है कि अफवाहों का बाजार गर्म है।
When Merkel, Trump, Conte & other leaders hold Press Conferences often, answering questions abt Corona, why is Modi not doing it in a crisis? Why send Luv Agarwal?
RT and demand that Modi take questions in a PC like a leader instead of his monologues reading from a teleprompter! pic.twitter.com/HcKtuwCb58
— Srivatsa (@srivatsayb) April 17, 2020
हालत यह है कि पिछले 2 महीने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह ने एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है । इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन यदा-कदा स्वास्थ्य मामलों से जुड़े प्रेस वार्ताओं में आकर जानकारी देते रहते थे। लेकिन वह भी अब कुछ दिन से दिखाई नहीं दे रहे हैं । हां यह जरूर है कि देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल जरूर मीडिया के सामने आते रहे हैं। वह अब तक 50 से ज्यादा बार प्रेस कांफ्रेंस में शामिल होकर कोरोना अपडेट बताते रहे है।
इसी के साथ वह नई-नई जानकारी भी देते रहते हैं। लेकिन पिछले 11 मई से लव अग्रवाल भी प्रेस को के सामने आने से दूरी बना रहे हैं। लव अग्रवाल का अदृश्य होना फिलहाल समझ से परे है। पिछले 11 मई को लव अग्रवाल मीडिया से मुखातिब तो हुए लेकिन वह सिर्फ 15 मिनट को सामने आए इसके बाद वह मीडिया से बचते बताते निकल गए । मीडिया ने उनसे कुछ सवाल करना चाहा। लेकिन स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने सवालों के जवाब ना देकर निकलने में ही भलाई समझी . अब समस्या यह है कि देश के अधिकतर मीडिया संस्थान यह कहते नजर आ रहे हैं कि जब स्वास्थ्य मंत्रालय को सवालों के जवाब ही नहीं देने होते तो लॉकडाउन में पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने का न्योता दिया जाता है।
पत्रकारों के मन में कोरोना महामारी को लेकर तरह-तरह के सवाल आना वाजिब भी है। क्योंकि इन सवालों के जवाब सरकार से लेकर पत्रकार जनता तक पहुंचाते हैं। और उनके मन में उठ रही शंकाओं को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन देखने में आ रहा है कि पत्रकारों के सवालों के जवाब भी नहीं दिया जाते हैं। ऐसे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, जैसे कि सरकार किस तरह टेस्टिंग कर रही है? कितने लोग ठीक हो चुके हैं ? तथा कितने ठीक होना चाहते हैं? कितने लोग वेंटिलेटर का इस्तेमाल कर रहे हैं तथा कितने लोग ठीक होकर अब तक अपने घर जा चुके हैं। यही नहीं बल्कि जनता यह भी जानना चाहती है इस असमंजस की स्थिति में है कि उन्हें जो जानकारी दी जा रही है उससे वह ज्यादा भ्रमित हो रहे हैं।
कोरोना से मरने वालों की अलग-अलग तरह की खबरें आने से जनता कंफ्यूज हो गई है । ऐसे में उन्हें अधिकारिक रूप से स्पष्ट जानकारी चाहती है। लेकिन सरकार जानकारी देने से कतरा रही है। आईसीएमआर की ही बात करें तो इसकी ओर से जो आंकड़े दिए जा रहे थे वह भी पिछले कुछ दिनों से दिखने बंद हो चुके हैं। 24 अप्रैल में पहली बार वैज्ञानिक भी शामिल हुए थे। लेकिन उसके बाद वैज्ञानिकों का दिखना बंद हो चुका है।
बीते बुधवार को आईसीएमआर के अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी लंबे समय के बाद प्रेस कांफ्रेंस में शामिल तो हुए, लेकिन विशेषज्ञ रमन गंगा खेडकर को ज्यादा समय नहीं दिया गया। जिसके बदौलत वह जनता को जानकारी देने से में सफल नहीं हो सके। सर्वविदित है कि दुनिया भर में कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी देने के लिए विभिन्न देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पत्रकारों के सवालों का जवाब कर सामना कर रहे हैं। लेकिन अपने देश में यह कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। आखिर क्यों? कहीं सरकार पत्रकारों के सामने न जाकर कोरोना पीड़ित लोगों के आंकड़े दिखाना नहीं चाहते है ? या वह जानबूझकर इस ओर से आंख बंद किए हुए?