[gtranslate]
Country

अंगदान के लिए ‘एक राष्ट्र, एक नीति’

अंग प्रत्यारोपण दुनिया भर में चिकित्सा क्षेत्र में जीवन रक्षक चिकित्सा में रूप में उभरा है, जिससे हर साल लाखों लोगों की जान बचती है। इसके लिए अंगदान को बेहद अहम माना जाता है। हालांकि भारत अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम अंग दान दर वाले देशों में शामिल है।

हालांकि भारत में भी अंगदान की दर बढ़ रही है लेकिन जनसंख्या के हिसाब से यह अपर्याप्त है। कहा जाता है कि अंग दान से रोगियों को आवश्यकतानुसार प्रत्यारोपण प्राप्त करना आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए सर्जिकल तकनीकों, अंग संरक्षण और फार्माको-इम्यूनोलॉजिकल सुविधाओं में सुधार से यह सुविधा हुई है। अब भारत सरकार ने इसी दिशा में वन नेशन, वन पॉलिसी लागू की है, जिससे अंगदान और प्रत्यारोपण आसान हो जाएगा। आइये समझें…

पहले – राज्यों की अंग आवंटन नीति में एक जरूरतमंद व्यक्ति को अंग खरीद के लिए अधिवास की आवश्यकता होती थी और वह केवल अपने राज्य में ही अंग खरीद के लिए पंजीकरण करा सकता था।

अब – भारत सरकार ने रेजीडेंसी आवश्यकता को समाप्त करने का निर्णय लिया है और सभी राज्यों को इसके बारे में सूचित कर दिया है। अब जरूरतमंद व्यक्ति देश के किसी भी राज्य में जाकर अंग प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करा सकेगा और प्रत्यारोपण भी कर सकेगा।

पहले – NOTO के दिशानिर्देशों के अनुसार, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को अंग प्राप्त करने की मनाही थी।

अब – भारत सरकार ने इस आयु सीमा को समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह फैसला भी जीवन के अधिकार को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अंगदान के लिए पंजीकरण करा सकता है।

पहले – कुछ राज्य रजिस्ट्रेशन के लिए फीस लेते थे।

अब – यह बात सामने आई है कि कुछ राज्यों में अंग की जरूरत वाले व्यक्ति से रजिस्ट्रेशन के दौरान 5,000-10,000 रुपये लिए जा रहे थे। भारत सरकार ने इस पर सभी राज्यों को सूचित कर दिया है। जहां ऐसा हो रहा है, उसे तत्काल रोका जाएगा।

You may also like

MERA DDDD DDD DD