कल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लोगों खासकर आंदोलनरत किसानों को बहुत उम्मीद थी कि वह तीन कृषि कानूनों पर कोई निर्णय लेंगे । लेकिन आंदोलनकारी किसानों की सभी अरमानों पर उन्होंने यह कहकर पानी फेर दिया कि तीनों कृषि बिल जारी रहेंगे ।इस तरह केंद्र सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है ।
जबकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने जब यह कहा था कि उनके और आंदोलनकारी किसानों के बीच सिर्फ एक कॉल की दूरी है तब लगा था कि अब दोनों के बीच बर्फ पिघलने वाली है । लेकिन ना तो प्रधानमंत्री मोदी ने ही उस कॉल की दूरी को खत्म किया और ना ही आंदोलनकारी किसानों ने इस बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी घेरे में ले लिया।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत किसी सरकार नहीं बल्कि देश का आंदोलन है । जिसके लिए नया एफडीआई मैदान में आया है जो देश को बचाने की जरूरत है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी के बारे में कहा कि एमएसपी था एमएसपी है और एमएसपी रहेगा ।
उन्होंने आंदोलनकारियों को समझाते हुए आगे बढ़ने की भी अपील की और कहा कि गालियों को मेरे खाते में जाने दो लेकिन सुधारों को होने दो। वह बोले कि आंदोलन में बुजुर्ग लोग बैठे हैं जिन्हें घर जाना चाहिए। किसान आंदोलन खत्म करें और चर्चा आगे चलती रहे।