भारत को 5 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना दिखाने वाली सरकार से संभल नहीं पा रही अर्थव्यवस्था
भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत को पांच लाख करोड़ डाॅलर (5 ट्रिलियन डाॅलर) की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा हो, लेकिन आज का सच यही है कि केंद्र सरकार से देश की अर्थव्यवस्था संभल नहीं पा रही है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार इस कदर असमंजस में है कि कभी कोई फैसला लेती है और फिर चुनावों में होने वाले नुकसान को भांपकर कदम पीछे भी खींच लेती है। अर्थव्यवस्था के संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार उन लघु बचत योजनाओं और भविष्य निधि, सुकन्या समृद्धि जैसी स्कीम्स पर भी ब्याज दरें घटाती रही है जिन्हें लोग अपने सुरक्षित भविष्य की उम्मीद के तौर पर देखते हैं।
यह अलग बात है कि चुनावों में जनता के आक्रोश से बचने के लिए सरकार यह भी अहसास कराती रही है कि जनता को उसकी बचत पर मिलने वाले लाभ का ध्यान रखा जाएगा। मसलन कि विपक्ष ने निशाना साधा तो सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए छोटी बचत पर ब्याज दर कम करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को कहना पड़ा कि ये फैसला गलती से लिया गया था। सीतारमण ने ट्वीट करके कहा, ‘भारत सरकार की लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरें उन दरों पर बनी रहेंगी, जो 2020-21 की अंतिम तिमाही के लिए लघु बचत दर में 3.5 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी। जनवरी-मार्च के दौरान छोटी बचत दर सालाना 4 प्रतिशत थी।’
आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा था कि 1 साल की समय जमा दरों को 5.5 प्रतिशत से 4.4 प्रतिशत कर दिया गया है और 2 वर्ष, 3-वर्ष, 5-वर्ष की जमा दर में तिमाही आधार पर क्रमशः 5.0 प्रतिशत, 5.1 प्रतिशत और 5.8 प्रतिशत की कटौती की गई है। 5 साल की आवर्ती जमा को पिछले 5.8 प्रतिशत से 5.3 प्रतिशत तक घटा दिया गया था। सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र पर ब्याज दरों में वार्षिक आधार पर क्रमशः 6.4 प्रतिशत, 6.9 प्रतिशत और 5.9 प्रतिशत की कटौती की गई थी। किसान विकास पत्र पर ब्याज दर को घटाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया गया था।
केंद्र सरकार ने 31 मार्च को छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाने का फैसला लिया था। वित्त मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर बताया था कि छोटी योजनाओं (लघु बचत योजनाओं) पर ब्याज दरें 1.10 फीसदी तक घटाई गई हैं। नई दरें एक अप्रैल 2021 से लागू हो जाएंगी। लेकिन अब इस आदेश को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। सरकार ने कई छोटी बचत योजनाओं पर जून तिमाही के लिए ब्याज दरों को लेकर कटौती की घोषणा की थी। जो इस प्रकार हैं, छोटी योजनाओं पर सलाना दर को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया था। पर्सनल प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) की ब्याज दर भी 7.1 प्रतिशत से घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दी गई थी। एक साल की अवधि के जमा पर ब्याज दर को 5.5 फीसदी से कम करके 4.4 प्रतिशत कर दिया गया था। वरिष्ठ नागरिक जमा योजनाओं के लिए ब्याज दर 7.4 फीसदी से घटाकर 6.4 फीसदी कर दिया गया था।
अब सवाल उठ रहा है कि आखिर एक दिन पहले ही सरकार ने छोटी योजनाओं पर ब्याज दर में 1.10 प्रतिशत तक कटौती करने का फैसला किया था और आज यानी एक अप्रैल 2021 को आदेश वापस लेने की घोषणा क्यों की? बता दें कि छोटी बचत की योजनाएं गरीब तबके, मिडिल क्लास और सैलरी बेस्ड लोगों के लिए काफी अहम हैं। ऐसे लोग छोटी बचत की योजनाओं में निवेश करते हैं। इन्हीं लोगों को ध्यान में रखते हुए सरकार छोटी बचत की योजनाएं भी लाती हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा छोटी योजनाओं पर ब्याज दर कटौती के फैसले से पीपीएफ पर ब्याज दर 46 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया था। जिससे समाज का एक बड़ा वर्ग मायूस था। सरकार इतने बड़े समाज के वर्ग को नुकसान नहीं पहुंचना चाहती है। इसके अलावा इसका असर छह राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता था।