केंद्र सरकार ने केरल के दो न्यूज़ चैनलों पर बैन लगा दी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इन चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटों के लिए रोक लगाई है। मंत्रालय ने ये फैसला दिल्ली में हुए हिंसा के दौरान की गई गलत रिपोर्टिंग के चलते ली है। मंत्रालय का कहना है कि हिंसा के दौरान गैर-जिम्मेदार रिपोर्टिंग चैनलों पर की गई जिसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील पाया गया।
जिन दो चैनलों को बैन किया गया है वे हैं मलयालम चैनल ‘एशियानेट न्यूज’ और ‘मीडिया वन’। इन दोनों चैनल का प्रसारण 6 मार्च की शाम 7.30 बजे से लेकर 8 मार्च को शाम 7.30 बजे तक बंद रहेगा। 8 मार्च को 7.30 बजे के बाद से फिर से शुरू हो जाएगा।
बैन को लेकर अपने आदेश में मंत्रालय ने कहा कि दोनों चैनलों का कवरेज दिल्ली हिंसा को लेकर एक तरफा था। इसी आधार पर मंत्रालय ने शुक्रवार को केरल से प्रसारित होने वाले ‘एशियानेट न्यूज’ और ‘मीडिया वन’ चैनल को गाइडलाइन्स का उल्लंघन करने का दोषी पाया। इसलिए मंत्रालय की तरफ से 48 घंटे के लिए चैनल बंद करने का आदेश जारी किया गया।
मंत्रालय ने परामर्श में कहा, “यह दोहराया जाता है कि सभी टीवी चैनलों को सलाह है कि वे किसी भी ऐसी सामग्री को लेकर सावधानी बरतें, जिनसे हिंसा भड़क सकती है। जो कानून व्यवस्था के विरूद्ध कुछ हो या जो राष्ट्रविरोधी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता हो। परामर्श में टीवी चैनलों को धर्म या समुदाय पर हमला करने वाली सामग्री से भी परहेज करने को कहा गया था।”
बता दें कि पिछले महीने जब दिल्ली में हिंसा हुई थी उस वक्त भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी सेटेलाइट टीवी चैनलों के लिए परामर्श जारी की थी कि उनसे हिंसा फैलाने या राष्ट्रविरोधी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाली सामग्री के प्रति सावधानी बरतें। मंत्रालय ने केबल टीवी नेटवर्क (विनियम) अधिनियम, 1995 के कार्यक्रम संहिता के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए चैनल को दो अलग-अलग आदेश शुक्रवार को जारी किए हैं।
‘वन न्यूज’ चैनल के प्रधान संपादक सी एल थॉमस ने केंद्र सरकार के इस फैसले को मीडिया की स्वतंत्रता पर सरकार का सबसे बड़ा अतिक्रमण बताया है। उन्होंने कहा, “भारत के इतिहास में, ऐसा प्रतिबंध कभी नहीं लगा है। आपातकाल के समय, मीडिया पर प्रतिबंध थे। लेकिन अभी देश इमरजेंसी से नहीं गुजर रहा है। टीवी चैनलों पर रोक लगाने का निर्णय देश के सभी मीडिया घरानों के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें सरकार की आलोचना नहीं करनी चाहिए।” मीडिया वन न्यूज का स्वामित्व माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड के पास है, जो जमात-ए-इस्लामी द्वारा समर्थित है।
वहीं एशियानेट न्यूज के संपादक एमजी राधाकृष्णन ने कहा, “हम इस समय इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते हैं। हम इस मुद्दे पर सामूहिक रूप से विचार करेंगे और बाद में अपने विचार रखेंगे।” ऐसा नहीं है कि मंत्रालय की तरफ से ये पहली बार किसी चैनल को बैन की गई है। 2016 में एनडीटीवी इंडिया को एक दिन के लिए प्रतिबंध बाकी गई थी। एनडीटीवी इंडिया ने पठानकोट एयर बेस पर आतंकी हमले की रिपोर्टिंग की थी। संवेदनशील विवरण साझा करने का आरोप लगाते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को एक दिन के लिए प्रसारण पर बैन लगा दी थी। हालांकि, इसके खिलाफ एनडीटीवी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगा दिया था।
इस बात की जानकारी मिलते ही सोशल मीडिया का माहौल फिर से गरमाया हुआ है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस कदम की जमकर आलोचना की है। उन्होंने कहा, “बीजेपी की सरकार दिल्ली के दंगों पर कोई भी चर्चा नहीं करेगी। लेकिन उन्होंने ‘एशियानेट न्यूज’ टीवी और ‘मीडिया वन’ टीवी लाइव पर सख्ती दिखाई। गुलाम बनाना, दमन करना और गला घोंटना ही बीजेपी का ‘मंत्र’ है। क्या यही ‘न्यू इंडिया’ है?
कांग्रेस के नेता रमेश चेन्निथला ने इसे प्रेस की आजादी के खिलाफ और असंवैधानिक बताया है। वहीं उमर खालिद ने सरकार पर तीखी आलोचना की हैं। उन्होंने कहा, “कौन कहता है कि भारत में भाषण देने का खतरा है? केवल इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरफ हैं। अगर आप सरकार की तरफ हैं, तो आप झूठ और नफरत फैलाने के लिए स्वतंत्र हैं। मुसीबतें तभी शुरू होती हैं जब आप सच्चाई की तरफ होते हैं। हम एशियानेट और मीडिया वन के साथ एकजुटता से खड़े हैं।”
ट्विटर पर एशियानेट न्यूज़ और मीडिया वन ट्रेंड करने लगा। लोग सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार का फैसला ऐसे समय आया हैं जब अधिकतर मीडिया ‘गोदी मीडिया’ के भांति काम कर रही हैं। कुछ कहना है कि अधिकतर मीडिया बीजेपी सरकार के सामने समर्पण कर चुकी हैं। अब भारत में चुनिंदा चैनल बचे हैं जो सरकार के नाकामियों के खिलाफ बोलने का माद्दा रखते हैं। गौरतलब है कि दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों का इलाज चल रहा है। कई लापता हैं। अभी भी लाशें मिल रही हैं। ढाई सौ से अधिक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।