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सरकारी कंपनियों के हाल में सुधार 

कई सालों से लगातार घाटे में चल रही कई सरकारी कंपनियों का हाल बीते दिनों में सुधरने लगा है। फाइनेंशियल दिक्कतों के कारण इंडस्ट्री में काफी कु प्रभाव देखे गए हैं। जिस कारण सरकारी और निजी दोनों ही कंपनियों में काफी घाटा देखा गया है। कुछ कंपनियां तो अपने अस्तित्व को ही खो चुकी है। पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज सर्वे 2020 -2021 के अनुसार फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के दौरान सरकारी 19 कंपनियां घाटे से उबरकर फायदा के मुकाम पर आ गई हैं। जबकि  इस सर्वे में 8 केंद्रीय सरकारी कंपनियां  फाइनेंशियल  2020-2021 में   घाटे में रही हैं  है  


कैसे होने लगा मुनाफा

पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज सर्वे 2020-21 के अनुसार, घाटे में चल रही 19 केंद्रीय सरकारी कंपनियां 2020-21 के दौरान फायदे के आंकड़े देने लगीं हैं। जबकि आठ कंपनियां लगातार दूसरे फाइनेंशियल ईयर में भी घाटे से गुज़र ही रही हैं। सर्वे के अनुसार, घाटे से फायदे में लौटने वाली सरकारी कंपनियों में से ज्यादातर इंडस्ट्रियल और कंज्यूमर गुड्स कैटेगरी वाली कंपनियां हैं। इनमें चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, वेस्टर्न कोलफील्ड्स और नेशनल फर्टिलाइजर्स के अलावा सावा सांभर सॉल्ट्स, हिंदुस्तान साल्ट्स, एंड्रयू यूल एंड कंपनी और सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जैसे नाम शामिल हैं। इन सरकारी कंपनियों के खर्च में कमी आने और रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिली है।

सांभर सॉल्ट्स की नमक बनाने वाली इकाइयां अनुकूल बाजार परिस्थितियों का फायदा उठाने में सफल रहीं हैं। नमक के दाम बढ़ने के अलावा लागत कम करने के प्रभावी उपायों से कंपनी का परफॉर्मेंस में सुधार आया है। वहीं सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को सीमेंट का उपभोग बढ़ने से मुनाफा कमाने का मौका मिला। इसके अलावा महामारी के कारण ग्रामीण इलाकों में लेबर की उपलब्धता से रूरल इंफ्रा के काम में तेजी आने और अफोर्डेबल हाउसिंग के कारण भी सीमेंट की मांग में तेजी आई है। एंड्रू यूल एंड कंपनी की बात करें तो इसे चाय की बिक्री बढ़ने और विदेशी कमाई में सुधार से मदद मिली। यही कारण हैं जिनके चलते काफी समय से घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों में मुनाफा देखा गया है।

रेवेन्यू हुआ कम

चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, वेस्टर्न कोलफील्ड्स और नेशनल फर्टिलाइजर्स की बात करें तो इन कंपनियों को 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा होने के बाद भी रेवेन्यू के मोर्चे पर गिरावट का सामना करना पड़ा है। इन कंपनियों को प्रॉफिट होने का मुख्य कारण खर्च कम हो जाना है। फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के दौरान चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने अपने कुल खर्च में 21 फीसदी कटौती की है। इसी तरह वेस्टर्न कोलफील्ड्स के खर्च में 5.84 फीसदी की कमी आई है।

दौड़ में आगे रहे सेक्टर 

सर्वे के अनुसार, 2020-21 के दौरान 255 परिचालित सीपीएसई का टोटल ग्रॉस रेवेन्यू साल भर पहले के 24.58 लाख करोड़ रुपये की तुलना में कुछ कम होकर 24.26 लाख करोड़ रुपये रहा। यह रेवेन्यू के मोर्चे पर आई 1.30 फीसदी की गिरावट आई है। इस दौरान रेवेन्यू में सबसे ज्यादा 65.43 फीसदी योगदान मैन्युफैक्चरिंग, प्रोसेसिंग एंड जेनरेशन सेक्टर का रहा। सर्विस सेक्टर ने 25.75 फीसदी, माइनिंग एंड एक्सप्लोरेशन ने 8.77 फीसदी और एग्रीकल्चर ने 0.05 फीसदी का योगदान दिया है। कुल 255 कंपनियों में से 177 को फायदा हुआ, जबकि 77 को घाटे का सामना करना पड़ा। एफसीआई को इस दौरान न घाटा हुआ, न लाभ। यह स्थिर मात्रा में बनी रही हैं। 

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