बिहार में हाल ही में विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने। नीतीश को सुशासन बाबू के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन आम लोगों की सुरक्षा में दिन-रात मुस्तैद रहने वाली सुशासन बाबू की पुलिस ही अपने थाने में पिट गई। हैरानी की बात यह है कि वाहन छुड़ाने थाना परिसर में घुसे युवकों ने न केवल लाठी-डंडे से उनकी पिटाई की, बल्कि पास रखे चाकुओं से ताबड़तोड़ हमला कर दो सिपाहियों को गंभीर रूप से घायल भी कर दिया। मारपीट की यह घटना उस समय घटी, जब एएसआई बांका चौधरी थाने के अपने अन्य सहयोगियों के साथ जरूरी कार्य निपटा रहे थे। गनीमत अच्छी थी कि शोरगुल के बाद जुटे थाने के अन्य जवानों ने मोर्चा संभाल लिया।
दरअसल , आठ दिसंबर को एनएच-84 स्थित कृष्णाब्रह्म चौक पर एक बाइक और टैक्सी वाले के बीच विवाद हो गया। मामले की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाया, लेकिन वे माने नहीं। अंतत: पुलिस ने दोनों के वाहनों को जब्त कर थाना चली गई। बाद में अपनी गाड़ी छुड़वाने थाना पहुंचे दोनों पक्षों में फिर से तू-तू मैं-मैं के बाद अचानक आपस में मारपीट होने लगी । जब पुलिस के जवानों ने उन्हें छुड़ाने का प्रयास किया तो अरियांव पंचायत के डुभुकी गांव निवासी टुनू कुमार, आदिल कुमार और गोलू कुमार और ब्रह्मपुर थाना के चंद्रपुरा गांव निवासी विकास कुमार यादव सहित अन्य ने थाना परिसर में ही सिपाहियों पर लाठी-डंडे के साथ चाकुओं से ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिए, जिसमें दो सिपाही गंभीर रूप से जख्मी हो गए।
आरोपियों ने इतना ही नहीं बल्कि मौके पर मौजूद एएसआई की कॉलर पकड़ उनसे बदतमीजी भी की। फिलहाल, जख्मी सिपाहियों का निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। बताया जाता है कि मारपीट करने वाले लोग लगभग बीस से तीस की संख्या में थे। लेकिन, थाने के अन्य सिपाहियों के एक्शन के बाद अधिकांश फरार हो गए। फिलहाल, उनकी पहचान करने में पुलिस जुट गई है।
कानून को हाथ में लेकर मारपीट करना दंडनीय अपराध है। पुलिस इस मामले में चार को हिरासत में लेकर जेल भेजने की कार्रवाई कर रही है। जबकि, अन्य की पहचान के लिए आरोपितों से पूछताछ की जा रही है।