[gtranslate]
Country

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 पारित

संसद में 20 जुलाई से मानसून सत्र जारी है, जो मणिपुर हिंसा को लेकर शुरुआत से ही हंगामेदार रहा।  जिसके दौरान बीते दिन यानी 7 अगस्त को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े। इस अध्यादेश का सदन में आप और  कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन इंडिया के सभी घटक दलों ने बिल का जोरदार विरोध किया।

 

इस बिल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया। जिसका बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी समर्थन किया। अमित शाह ने राज्यसभा में बिल पेस करते हुए कहा कि इस बिल का उद्देश्य दिल्ली में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करना है।  बिल के किसी भी प्रावधान से पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच का भी परिवर्तन नहीं हो रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है। ये बिल हम शक्ति को केंद्र में लाने के लिए नहीं बल्कि केंद्र को दी हुई शक्ति पर दिल्ली केंद्र की सरकार अतिक्रमण करती है, उसकी वैधानिक रूप से रोकने के लिए यह बिल लेकर लाए हैं। कई सदस्यों की ओर से बताया गया कि केंद्र को शक्ति हाथ में लेनी है. हमें शक्ति लेने की जरूरत नहीं क्योंकि 130 करोड़ की जनता ने हमें शक्ति दी हुई है।

 

क्यों है ये अध्यादेश प्रमुख  

 

मानसून सत्र में पिश किया गया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 केंद्र के लिए काफी अहम् था। जिसे लेकर पिछले दिनों खूब हंगामा हुआ था। इसी के कारण केजरीवाल सरकार और केंद्र में जंग छिड़ी हुई थी । केंद्र सरकार ने इस अध्यादेश के तहत दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती से जुड़ा आखिरी फैसला लेने के अधिकार उपराज्यपाल को दिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी ।
गौरतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश सीधे राष्ट्रपति या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा शासित होते हैं। हालांकि, दिल्ली और पुडुचेरी एक विधानमंडल और एक मंत्रिपरिषद के साथ केंद्रशासित प्रदेश हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991 दिल्ली विधानसभा और दिल्ली सरकार के कामकाज के लिए रूपरेखा तैयार करता है। यह विधानसभा की शक्तियों, एलजी की विवेकाधीन शक्तियों और एलजी को जानकारी प्रदान करने के मुख्यमंत्री के कर्तव्य को रेखांकित करता है। दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच सत्ता-बंटवारे का सवाल कई मौकों पर सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया गया। 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं के नियंत्रण पर अपना फैसला सुनाया। न्यायालय के समक्ष प्रश्न यह था कि क्या दिल्ली सरकार या उपराज्यपाल का दिल्ली में सेवाओं और सिविल सेवकों पर नियंत्रण होगा। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दिल्ली में सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा। ऐसा नियंत्रण पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के विषयों तक विस्तारित नहीं होगा, जिन पर केंद्र सरकार के पास विशेष शक्तियां हैं। 2023 के फैसले ने 2018 के फैसले की भी पुष्टि की जहां सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि एलजी के पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्तियां नहीं थीं और वह मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह का पालन करने के लिए बाध्य थे। दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, जीएनसीटीडी (संशोधन) अध्यादेश, 2023 19 मई, 2023 को लाया गया था।

 

यह भी पढें : मानसून सत्र में ये विधेयक होंगे पेश

You may also like

MERA DDDD DDD DD