कोरोना महामारी की परवाह न करते हुए हजारों लोगों ने वीरभद्र के अंतिम दर्शन किए। जन सैलाब उन्हें अंतिम विदाई देने यूं ही नहीं उमड़ा, बल्कि हिमाचल के नवनिर्माण में वीरभद्र के अहम योगदान को लोग सम्मान देते हैं
राजनीति में लोकप्रियता के क्या खास मायने होते हैं, यह वीरभद्र सिंह की अंतिम विदाई से समझा जा सकता है। आज जबकि पूरे देश में कोरोना महामारी का बड़ा खौफ है, लेकिन इसके बावजूद हजारों की संख्या में लोग जिस तरफ अपने प्रिय नेता वीरभद्र के अंतिम दर्शनों के लिए उमड़े वह निश्चित ही उनकी लोकप्रियता हीकही जाएगी।
प्रदेश के लोकप्रिय नेता वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए उनके पैतृक राजमहल पद्म पैलेस में लोगों का हुजूम उमड़ आया। लोग कहते सुने गए कि इतनी भीड़ तो कभी फाग मेले में भी नहीं देखी। फाग मेला भी हर साल इसी परिसर में होली से एक दिन पहले आयोजित किया जाता है। प्राचीन बुशहर रियासत चार ठहरियों से आए बजंतरियों ने प्रातःकाल से ही पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाने शुरू कर दिए थे।
जब राजा वीरभद्र सिंह की विदाई की रस्में हुई तो उल्टा बाजा बजा। महिलाओं ने शोक गीत गाए। सराहन से आया जनसमूह राजा साहब अमर रहे के नारे लगाता हुआ पद्म परिसर में दाखिल हुआ। इस दौरान भावुक लोग राजा साहब अमर रहे के नारे लगाते हुए दर्शन के लिए लगी कतारों को तोड़कर पद्म पैलेस में प्रवेश करने लगे। सुरक्षाकर्मियों के लिए व्यवस्था बनाना मुश्किल हो गया। इसके बाद हजारों लोगों को सैलाब पद्म पैलेस के गेट से बाहर राष्ट्रीय राजमार्ग-पांच की ओर निकला और सतलुज नदी के किनारे की ओर बढ़ चला। इससे करीब एक किलोमीटर तक सड़क लोगों से खचाखच भरी रही। इस दौरान पहले गार्ड आॅनर हुआ। फिर शय्या पूजन के बाद विक्रमादित्य सिंह ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इसके बाद वीरभद्र की पार्थिव देह पंचतत्व में मिल गई। इस दौरान कुल्लू जिला में सामने दिखाई देने वाली पहाड़ी में वजीर बावड़ी सड़क में वाहन रुक गए। लोग सतलुज पार सड़क में खड़े हो गए और वहां से नम आंखों से वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्कार के साक्षी बने।
राजा साहब को याद कर रोने लगे दर्जी रियासत अली वीरभद्र के पूर्वजों ने लंबे समय तक रामपुर रियासत में राज किया। वे भी इस रियासत के राजा रहे। लेकिन जनता में राजा साहब की लोकप्रियता काफी ज्यादा रही। अपने राजा साहब को याद कर रामपुर में सिलाई करने वाले मुस्लिम दर्जी रियासत अली रोने लगे। अली बोले-राजा साहब जब भी रामपुर आते थे तो उनके कपड़े वही प्रेस करते थे। बीस साल पहले परिवार पालने के लिए उन्हें बाजार में अड्डा भी राजा साहब ने ही दिया था।
11 कारीगरों ने 36 घंटे में तैयार किया गरुड़ स्वरूप पुष्प यान अंतिम विदाई के लिए पुष्प यान 11 राजमिस्त्रियों ने 36 घंटे की कड़ी मेहनत से तैयार किया। पुष्प यान यहां मृत्यु शैय्या को कहते हैं। 12 मुखी पुष्पयान को गरुड़ का स्वरूप माना जाता है। गरुड़ विष्णु की सवारी होता है। चूंकि राजा को विष्णु स्वरूप माना जाता है तो मान्यता है कि यह यान वैकुंठ यात्रा के लिए रवाना होता है। इस पुष्पयान के चारों कोनों में चांदी के चार छत्र लगाए गए थे। अर्थी के ऊपर का पकड़ा भी राज दर्जियों ने महल परिसर में तैयार किया।
सांगला घाटी के कामरू से ब्रह्मकमल लाईं महिलाएं
बुशहर रियासत की प्राचीन राजधानी किन्नौर की सांगला घाटी के कामरू से महिलाएं दुर्लभ ब्रह्मकमल लेकर आईं, जिन्हें अंतिम यात्रा से पहले उनकी पार्थिव शरीर पर चढ़ाया। घाघरो वस्त्र और उमालंग माला भी अर्पित की।
महिलाओं ने गाए शोक गीत, बोलीं – पता नहीं महल से बुलावा आएगा या नहीं
वीरभद्र की अंतिम यात्रा से पहले महल के प्रांगण में बने मच मछखंडी चबूतरे पर महिलाएं नम आंखों के साथ शोक गीत गाने लगीं। महिलाओं का कहना था कि जब भी वीरभद्र सिंह महल में आते थे तो इलाके की महिलाओं को खास तौर पर मुलाकात के लिए बुलावा भेजा जाता था। आज वीरभद्र सिंह अंतिम यात्रा पर जा रहे हैं, पता नहीं अब महल से बुलावा आएगा भी या नहीं।
छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का राजकीय सम्मान के साथ रामपुर के शाही मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किया गया। पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने चिता को मुखाग्नि दी। प्रदेश सहित दूसरे राज्यों से पहुंचे हजारों लोगों ने श्राजा नहीं फकीर था, हिमाचल की तकदीर था, वीरभद्र सिंह अमर रहे जैसे नारे लगाते हुए नम आंखों से राजा को अंतिम विदाई दी। 87 वर्षीय वीरभद्र सिंह ने आठ जुलाई को शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आइजीएमसी) अस्पताल में अंतिम सांस ली थी।
अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री सहित मंत्री भी हुए शामिल
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, वन मंत्री राकेश पठानिया, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर, कांग्रेस के सह प्रभारी संजय दत्त, पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, कौल सिंह ठाकुर, ठाकुर सिंह भरमौरी सहित कई वरिष्ठ नेता अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
प्रतिभा व विक्रमादित्य से मिलकर लौटे कांग्रेसी नेता
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, पवन बंसल, प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला दस रामपुर पहुंचे थे। इसके बाद वे राजमहल में वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह, बेटे विक्रमादित्य सहित परिवार के सभी सदस्यों से मिले और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने वीरभद्र सिंह के साथ किए कार्यों को भी परिवार के साथ साझा किया। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए इन नेताओं का चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल नामित किया था। राजीव शुक्ला पहले से ही शिमला में मौजूद थे, जबकि भूपेश बघेल, आनंद शर्मा व पवन बंसल शिमला पहुंचे।
जीवनभर पिता के दिखाए रास्ते पर चलूंगा: विक्रमादित्य
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि आजीवन पिता के दिखाए रास्ते पर चलूंगा। उन्होंने कहा कि सभी को संसार से एक दिन जाना होता है, लेकिन मेरे पिता का जो अटूट विश्वास देवी देवताओं पर रहा। इसलिए ही उन्होंने हर मंदिर को बेहतर बनवाया। मैं खुद भी जब तक रहूंगा, उनके दिखाए रास्ते पर चलूंगा । इसके अलावा उनकी सोच व नीतियों को पूरे प्रदेश में लागू करने का प्रयास करूंगा। पिता के अंतिम संस्कार के बाद उन्होंने हजारों की संख्या में आए लोगों का आभार व्यक्त किया।
शिमला में लगेगी प्रतिमा
ऐतिहासिक रिज मैदान पर कांग्रेस स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा लगाना चाहती है। इस बाबत कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से रिज मैदान पर पार्टी की ओर से छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति मांगी है। एक ओर जहां प्रदेश के निर्माण में डाॅ यशवंत सिंह परमार के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता, वहीं प्रदेश के नव निर्माण में ‘राजा’ वीरभद्र सिंह को भी कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। पहाड़ी राज्यों के विकास में आज हिमाचल प्रदेश एक विशेष स्थान रखता है जिसका पूरा श्रेय वीरभद्र सिंह को ही जाता है।
राठौर ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की यह इच्छा है कि वीरभद्र सिंह की याद में शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में उनकी स्मृति में कोई स्मारक बने। अतः प्रदेश कांग्रेस उनकी एक प्रतिमा रिज मैदान में स्थापित करना चाहती है।